प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के ड्रीम प्रोजेक्ट अहमदाबाद-मुंबई के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन (Bullet Train) में 5 साल की देरी हो सकती है. बताया जा रहा है कि कोरोना (Corona) के कारण भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) में देरी से बढ़ती लागत और टेंडर रद्द होने के चलते परियोजना के शुरू होने में देरी हो रही है. इसके अलावा जापान (Japan) की कई कंपनियां भी दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं. अनुमान है कि रेलवे इस प्रोजेक्ट को अब अक्टूबर 2028 तक पूरा कर पाएगी. पहले बुलेट ट्रेन के इस ड्रीम प्रोजेक्ट का काम दिसंबर 2023 में पूरा होना था.
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प्रोजेक्ट में कई अड़चन
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि इस प्रोजेक्ट में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं. इस प्रोजेक्ट में 21 किलोमीटर की लाइन जमीन के अंदर बिछाई जानी है, जिसमें मुंबई के पास समुद्र के भीतर 7 किलोमीटर की लंबी सुरंग भी शामिल है. इसको लेकर साल के शुरुआत में टेंडर निकाला गया था, लेकिन जापान की कोई भी कंपनी इस टेंडर प्रक्रिया में शामिल नहीं हुई. इसके अलावा 11 टेंडर में कंपनियों ने अनुमान से 90 फीसदी ज्यादा लागत की बोली लगाई. ऐसे में फिलहाल इसे रद्द करना पड़ा. यह भी कहा जा रहा है कि 21 किलोमीटर की अडंरग्राउंड लाइन बिछाने में कई एडवांस बोरिंग मशीन की जरूरत है. ऐसे में इस काम को पूरा करने में कम से कम 60 महीने लगेंगे.
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ज़मीन अधिग्रहण का काम फंसा
इसके अलावा अखबार ने ये भी दावा किया है कि इस प्रोजेक्ट के लिए ज़मीन अधिग्रहण का काम भी पूरा नहीं हुआ है. महाराष्ट्र में इसके लिए 430 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, लेकिन अब तक सिर्फ 100 हेक्टर जमीन ही सरकार को मिल सकी है. उधर गुजरात में राज्य सरकार के सहयोग के चलते जमीन अधिग्रहण का काम तेजी से चल रहा है और उम्मीद की जा रही है कि इसे साल के आखिर तक 1000 हेक्टयर ज़मीन सरकार को मिल जाएगी. NHSRCL के एक प्रवक्ता का कहना है कि अब तक उन्हें 345 किलोमीटर के लिए जमीन मिल गई है. बता दें कि ये पूरी लाईन 508 किलोमीटर लंबी है.
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अब अगस्त 2022 से शुरू हो सकेगा काम
पहले इस प्रोजेक्ट के कुछ हिस्से पर अगस्त 2022 में बुलेट ट्रेन को शुरू करने की की योजना थी. दरअसल ये साल देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस होगा. हालांकि रेलवे का अधिकारिक तौर पर कहना है कि पुरानी टाइमलाइन के हिसाब से की काम पूरा किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (JICA) 20 साल के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का 80 फीसदी लोन के रूप में दे रही है. ये लोन 0.1 परसेंट के ब्याज पर दिया गया है.