प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का उद्घाटन कर दिया है. एयरपोर्ट के अलावा राजकीय मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास और 12 अन्य विकास परियोजनाओं की भी सौगात दी है. पीएम मोदी ने 180.66 करोड़ रुपये की 12 परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण भी किया. इनमें गंडक नदी पर बाढ़ सुरक्षा के 8 प्रोजेक्ट, स्वदेश दर्शन स्कीम में बौद्ध सर्किट योजनांतर्गत पर्यटन विकास, राजकीय महाविद्यालय सुकरौली का निर्माण, नवीन संकेत मूक बधिर राजकीय बालिका आवसीय विद्यालय का निर्माण, कसया-रामकोला व रामपुर खुर्द, कोटवा, घुघली मार्ग का चौड़ीकरण तथा सुदृढ़ीकरण का कार्य शामिल है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि बुद्ध आज भी भारत के संविधान की प्रेरणा हैं, बुद्ध का धम्म-चक्र भारत के तिरंगे पर विराजमान होकर हमें गति दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को उत्तर प्रदेश स्थित कुशीनगर को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सौगात दी। 589 एकड़ में 260 करोड़ की लागत से बने इस हवाई अड्डे के लोकार्पण के साथ यूपी सर्वाधिक हवाई अड्डा वाला प्रदेश बन गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभिधम्म समारोह में कहा कि हमने ज्ञान, महान संदेशों और महान आत्माओं के विचारों को बांधने में कभी भरोसा नहीं किया है। हमारा जो कुछ भी था, उसे मानवता के लिए मम भाव से अर्पित किया है। दुनिया में जहां-जहां भी बुद्ध के विचारों को आत्मसात किया गया, वहां कठिन परिस्थितियों में भी प्रगति के रास्ते बने। अगर हम बुद्ध के संदेश को अपना लेते हैं तो सद्कर्म का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। अहिंसा, दया, करुणा ऐसे मानवीय मूल्य आज भी उतनी ही सहजता से भारत के अंतर्मन में रचे बसे हैं। बुद्ध आज भी भारत के संविधान की प्रेरणा हैं। बुद्ध का धम्म चक्र भारत के तिरंगे पर विराजमान होकर हमें गति दे रहा है।
उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध ने कहा था- 'अप्प दीपो भव'। यानी, अपने दीपक स्वयं बनो। जब व्यक्ति स्वयं प्रकाशित होता है तभी वह संसार को भी प्रकाश देता है। यही भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा है। बुद्ध इसीलिए ही वैश्विक हैं क्योंकि बुद्ध अपने भीतर से शुरूआत करने के लिए कहते हैं। यही भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा है। यही वो प्रेरणा है जो हमें दुनिया के हर देश की प्रगति में सहभागी बनने की ताकत देती है। मोदी ने कहा कि बुद्ध इसीलिए ही वैश्विक हैं क्योंकि बुद्ध अपने भीतर से शुरूआत करने के लिए कहते हैं। आज जब दुनिया पर्यावरण संरक्षण की बात करती है, क्लाइमेट चेंज की चिंता जाहिर करती है, तो उसके साथ अनेक सवाल उठ खड़े होते हैं। लेकिन, अगर हम बुद्ध के संदेश को अपना लेते हैं तो 'किसको करना है, इसकी जगह क्या करना है, इसका मार्ग अपने आप दिखने लगता है'।
Source : News Nation Bureau