प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर असम में बोगीबील ब्रिज (BogibeelBridge) का उद्घाटन किया. इस पुल को पीएम नरेंद्र मोदी ने जनता को समर्पित किया. इस दौरान इस पुल से गुजरने वाली पहली रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. ब्रिज का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिब्रूगढ़ में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन सुशासन दिवस के रूप में मना रहा है. उन्होंने कहा कि आज केंद्र की सरकार सबका साथ-सबका विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है और देश में सुशासन ला रही है.
Assam: PM Modi to address a public rally in Dibrugarh. Chief Minister of Assam, Sarbananda Sonowal also present. pic.twitter.com/UpXDBW4kJd
— ANI (@ANI) December 25, 2018
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि ये देश का पहला पूरी तरह स्टील से बना पुल है. इस पर एक साथ गाड़ियां और ट्रेन इस पर दौड़ेंगी और देश की सामरिक शक्ति को ताकत मिलेगी.
बता दें कि इस पुल की आधारशिला 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने रखी थी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में इस ब्रिज के निर्माण को हरी झंडी दिखाई थी.
LIVE: PM @narendramodi dedicates #BogibeelBridge to the nation. https://t.co/6r0cqKxhmq
— BJP (@BJP4India) December 25, 2018
पुल की ये हैं खासियत -
देश का सबसे लंबा पुल असम के डिब्रूगढ़ को अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट से जोड़ेगा. बोगीबील रेल और रोड ब्रिज पर दो समांतर रेल लाइनें है. सबसे खास बात ये है कि रेल के पुल के ऊपर ही सड़क पुल है. असम के डिब्रूगढ़ को अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट से जोड़ने वाले देश के सबसे लंबे सड़क और रेल पुल की लंबाई 4.94 किलोमीटर है. इस पुल को बनाने में 5800 करोड़ रुपये की लागत आई है.
इसके साथ ही इस पुल को बनाने में 77000 मेट्रिक टन लोहे का इस्तेमाल हुआ है. यह पुल देशवासियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है. इस पुल के बनने से टाइम की भरपूर बचत होगी. इसका मतलब है कि 15 से 20 घंटे के तुलना में अब साढ़े पांच घंटे में दूरी तय करने में समाय लगेगा. पहले यात्रियों को कई रेल बदलनी पड़ती थी लेकिन अब इससे उन्हें राहत मिलेगी. पूर्वोत्तर फ्रंटियर रेलवे के प्रवक्ता नितिन भट्टाचार्य ने इस बात की जानकारी दी.
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यह पुल और रेल सेवा धेमाजी के लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण होने जा रही है क्योंकि मुख्य अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और हवाई अड्डा डिब्रूगढ़ में हैं. इससे ईटानगर के लोगों को भी फायदा मिलेगा क्योंकि यह इलाका नाहरलगुन से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है. इस ट्रेन के रूट से असम के साथ अरुणाचल लखीमपुर, धेमाजी के लोगों को फायदा मिलेगा. इसके साथ ही नागालैंड , अरुणाचल , उत्तरी असम के आर्थिक विकास में यह पुल महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
इस पुल की परियोजना को 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने मंज़ूरी दी थी. इस पुल का निर्माण अप्रैल 2002 में शुरू हुआ. उस वक्त भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शिलान्यास किया था. पिछले 21 सालों से अपर्याप्त फंड, तकनीकी अड़चनों के कारण पुल के निर्माण में बाधा पहुंची. कई बार विफल होने के कारण इस साल एक दिसंबर को इस पुल से पहली मालगाड़ी गुजरने के साथ निर्माण पूरा हुआ. ब्रहमपुत्र नदी पर बना ये पुल कुल 42 खम्बो पर टिका हुआ है, जिन्हे नदी के अंदर 62 मीटर तक गाड़ा गया है. यह पुल 8 तीव्रता का भूकंप झेलने की क्षमता रखता है.
1962 जैसा धोखा भारत न मिले इस लिहाज़ से यह पुल काफी अहम है. चीन ने अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों पर कब्ज़ा करने के लिए भारत पर हमला कर दिया था. . इस युद्ध के दौरान अगर चीन असम की तरफ रुख़ करता तो भारत के पास असम में ब्रहम्पुत्र के उत्तर के इलाकों को बचा पाने का कोई भी रास्ता नहीं था. क्योंकि चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए उन इलाकों तक पहुंचना ही मुश्किल था. ऐसे में भारत चीन पर पैनी नज़र रख हर हरकत पर लगाम कसेगा.
(इनपुट-एजेंसी)
Source : News Nation Bureau