प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र का उद्घाटन किया, उन्होंने शनिवार को दिल्ली में राजघाट से राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र का उद्घाटन किया. आपको बता दें कि पीएम मोदी ने राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र के लिए सबसे पहले 10 अप्रैल 2017 को महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर की थी. पीएम मोदी ने यह योजना महात्मा गांधी को समर्पित की है. पीएम मोदी दिल्ली के 36 स्कूली छात्रों से बातचीत करेंगे, जो 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करेंगे और फिर अपना संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी जी का अभियान था- अंग्रेजों भारत छोड़ो, हम लोग अभियान चला रहे हैं- गंदगी भारत छोड़ो.
Delhi: Prime Minister Narendra Modi inaugurates the Rashtriya Swachhata Kendra, an interactive experience centre on Swachh Bharat Mission. pic.twitter.com/Gz3PRgGTFZ
— ANI (@ANI) August 8, 2020
पीएम मोदी ने कहा, आज के विश्व के लिए गांधी जी से बड़ी प्रेरणा नहीं हो सकती। गांधी जी के जीवन और उनके दर्शन को अपनाने के लिए पूरी दुनिया आगे आ रही है। बीते वर्ष जब पूरी दुनिया में गांधी जी की 150वीं जन्मजयंति को भव्य रूप से मनाया गया, वो अभूतपूर्व था.ऐसे ऐतिहासिक दिवस पर, राजघाट के समीप, राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र का लोकार्पण अपने आप में बहुत प्रासंगिक है। ये केंद्र, बापू के स्वच्छाग्रह के प्रति 130 करोड़ भारतीयों की श्रद्धांजलि है, कार्यांजलि है.राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र, गांधी जी के स्वच्छाग्रह और उसके लिए समर्पित कोटि-कोटि भारतीयों के विराट संकल्प को एक जगह समेटे हुए है। थोड़ी देर पहले जब मैं इस केंद्र के भीतर था, करोड़ों भारतीयों के प्रयासों का संकलन देखकर मैं मन ही मन उन्हें नमन कर उठा.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि, पूज्य बापू, स्वच्छता में स्वराज का प्रतिबिंब देखते थे. वो स्वराज के स्वपन की पूर्ति का एक मार्ग स्वच्छता को भी मानते थे. मुझे संतोष है कि स्वच्छता के प्रति बापू के आग्रह को समर्पित एक आधुनिक स्मारक का नाम अब राजघाट के साथ जुड़ गया है. गांधी जी की स्वीकार्यता और लोकप्रियता देशकाल और परिस्थिति से परे है। इसकी एक बड़ी वजह है, सामान्य माध्यमों से अभूतपूर्व परिवर्तन लाने की उनकी क्षमता. इस केंद्र में सत्याग्रह की प्रेरणा से स्वच्छाग्रह की हमारी यात्रा को आधुनिक टेक्नॉलॉजी के माध्यम से दर्शाया गया है, दिखाया गया है। और मैं ये भी देख रहा था कि स्वच्छता रोबोट तो यहां आए बच्चों के बीच में काफी लोकप्रिय है.
पीएम मोदी ने बताया कि गांधी जी कहते थे कि – स्वराज सिर्फ साहसी और स्वच्छ जन ही ला सकते हैं. स्वच्छता और स्वराज के बीच के रिश्ते को लेकर गांधी जी इसलिए आश्वस्त थे क्योंकि उन्हें विश्वास था कि गंदगी अगर सबसे ज्यादा नुकसान किसी का करती है, तो वो गरीब है. आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है। देश की आजादी में आज की तारीख यानि 8 अगस्त का बहुत बड़ा योगदान है। आज के ही दिन, 1942 में गांधी जी की अगुवाई में आज़ादी के लिए एक विराट जनांदोलन शुरू हुआ था, अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगा था.
मुझे संतोष है कि गांधी जी की प्रेरणा से बीते वर्षों में देश के कोने-कोने में लाखों-लाख स्वच्छाग्रहियों ने स्वच्छ भारत अभियान को अपने जीवन का लक्ष्य बना दिया है। यही कारण है कि 60 महीने में करीब-करीब 60 करोड़ भारतीय शौचालय की सुविधा से जुड़ गए. जबतक जनता में आत्मविश्वास पैदा नहीं होता, तबतक वो आजादी के लिए खड़ी कैसे हो सकती था? इसलिए, साउथ अफ्रीका से लेकर चंपारण और साबरमती आश्रम तक, उन्होंने स्वच्छता को ही अपने आंदोलन का बड़ा माध्यम बनाया. इसकी वजह से, देश की लाखों बेटियों को बिना रुके पढ़ाई का भरोसा मिला। इसकी वजह से, लाखों गरीब बच्चों को बीमारियों से बचने का उपाय मिला। इसकी वजह से देश के करोड़ों दलितों, वंचितों, पीड़ितों, शोषितों, आदिवासियों को समानता का विश्वास मिला.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि, स्वच्छ भारत अभियान ने हर देशवासी के आत्मविश्वास और आत्मबल को बढ़ाया है। लेकिन इसका सबसे अधिक लाभ देश के गरीब के जीवन पर दिख रहा है। स्वच्छ भारत अभियान से हमारी सामाजिक चेतना, समाज के रूप में हमारे आचार-व्यवहार में भी स्थाई परिवर्तन आया है. क्या तब लॉकडाउन जैसी व्यवस्थाएं संभव हो पातीं, जब भारत की 60 प्रतिशत आबादी खुले में शौच के लिए मजबूर थी? स्वच्छाग्रह ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हमें बहुत बड़ा सहारा दिया है, माध्यम दिया है। स्वच्छता का अभियान एक सफर है, जो निरंतर चलता रहेगा.
भारत छोड़ो के ये सभी संकल्प स्वराज से सुराज की भावना के अनुरूप ही हैं. इसी कड़ी में आज हम सभी को ‘गंदगी भारत छोड़ो’ का भी संकल्प दोहराना है। आइए, आज से 15 अगस्त तक यानि स्वतन्त्रता दिवस तक देश में एक सप्ताह लंबा अभियान चलाएं देश के बच्चे-बच्चे में Personal और Social hygiene को लेकर जो चेतना पैदा हुई है, उसका बहुत बड़ा लाभ कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में भी हमें मिल रहा है। आप ज़रा कल्पना कीजिए, अगर कोरोना जैसी महामारी 2014 से पहले आती तो क्या स्थिति होती. जैसे गंगा जी की निर्मलता को लेकर हमें उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं, वैसे ही देश की दूसरी नदियों को भी हमें गंदगी से मुक्त करना है। यहां पास में ही यमुना जी हैं। यमुना जी को भी गंदे नालों से मुक्त करने के अभियान को हमें तेज़ करना है.
देश को कमजोर बनाने वाली बुराइयां भारत छोड़ें, इससे अच्छा और क्या होगा। इसी सोच के साथ बीते 6 साल से देश में एक व्यापक भारत छोड़ो अभियान चल रहा है. गरीबी- भारत छोड़ो! खुले में शौच की मजबूरी- भारत छोड़ो! पानी के दर-दर भटकने की मजबूरी- भारत छोड़ो. ये करते समय दो गज़ की दूरी, मास्क है ज़रूरी, इस नियम को ना भूलें। कोरोना वायरस हमारे मुंह और नाक के रास्ते ही फैलता भी है और फलता-फूलता भी है। ऐसे में मास्क, दूरी और सार्वजनिक स्थानों पर ना थूकने के नियम का सख्ती से पालन करना है.
Source : News Nation Bureau