प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार ने कम मुद्रास्फीति के साथ निरंतर उच्च विकास दर हासिल कर अभूतपूर्व दोहरे उद्देश्य को प्राप्त किया है. उन्होंने कहा कि नवाचार और प्रौद्योगिकी एक नए भारत के निर्माण के लिए रीढ़ की तरह होगी. ईटी ग्लोबल बिजनेस समिट (ET Global Business Summit) को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि उदारीकरण के बाद की सरकारों की तुलना में, निवर्तमान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने सात प्रतिशत से अधिक उच्च विकास दर और कम मुद्रास्फीति दर दोनों हासिल की.
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने 6.5 अंकों की औसत वार्षिक विकास दर दोहरे अंक में मुद्रास्फीति के साथ हासिल की.
मोदी ने कहा, 'हालांकि, 2014 और 2019 के बीच, औसत वार्षिक वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रही है, जबकि औसत मुद्रास्फीति की दर 4.5 प्रतिशत रही है. 1991 में उदारीकरण के बाद यह मुद्रास्फीति की सबसे कम औसत दर के साथ सबसे उच्च औसत विकास दर है.'
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में वर्तमान परिवर्तन साउंड मैक्रोइकॉनोमिक फंडामेंटल का परिणाम है जो परिलक्षित होता है और उदाहरण के तौर पर यह बढ़ते वित्तीय संसाधनों के रूप में नजर आ रहा है.
मोदी ने कहा कि पूंजी जुटाने के लिए बैंक ऋण पर एकमात्र निर्भरता नहीं है. जबकि 2012 और 2014 के बीच इक्विटी के माध्यम से उठाया गया औसत वित्त 14,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष था, पिछले चार वर्षों में यह औसत 43,000 करोड़ रुपये हो गया है.
उन्होंने कहा कि 2011-14 के बीच वैकल्पिक निवेश कोष (AIF) ने औसतन 4,000 करोड़ रुपये से कम जुटाए, लेकिन हमारी सरकार के अंतगर्त एआईएफ..2014-18 के दौरान यह आंकड़ा 20 गुना छलांग लगाते हुए 81,000 करोड़ रुपये हो गया है.
यह घोषणा करते हुए कि 'न्यू इंडिया' का औद्योगिक क्रांति 4.0 में सक्रिय योगदान होगा, प्रधानमंत्री ने कहा कि नवाचार और प्रौद्योगिकी इस पुनरुत्थान की रीढ़ बनेगी.
पुनरुत्थान के संकेतक का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि दी गई पेटेंट की संख्या 2013 में 4,000 से बढ़कर 2017-18 में 13,000 हो गई है.
उन्होंने कहा कि पंजीकृत ट्रेडमार्क 2013-14 के 68,000 के मुकाबले 2016-17 में बढ़कर 2.5 लाख हो गए हैं. इसमें चार गुना वृद्धि हुई है.
Source : IANS