महाराष्ट्र में धार्मिक स्थलों को खोले जाने की मांग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में राज्य में कोरोना की स्थिति को लेकर चिंता जताई. प्रधानमंत्री पूर्व केंद्रीय मंत्री बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा के विमोचन के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस सहित विखे पाटिल परिवार के सदस्य भी मौजूद थे.
अपने संबोधन के अंतिम हिस्से में PM मोदी ने कहा कि अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं आप लोगों से एक बात कहना चाहूंगा. विशेषकर महाराष्ट्र के लोगों से तो जरूर कहना चाहूंगा. कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है. महाराष्ट्र में यह चिंता जरा ज्यादा है. उन्होंने महाराष्ट्र के सभी नागरिकों से कोरोना के बचने के सारे उपायों को अपनाने की प्रार्थना की और कहा कि चेहरे पर मास्क, बार-बार हाथ धोना, साफ सफाई और दो गज की दूरी, इन नियमों में बिल्कुल लापरवाही नहीं करनी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें हमेशा याद रखना है कि जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं. हमें यह लड़ाई जरूर जीतनी है और हम जीतेंगे. वैसे तो प्रधानमंत्री इन दिनों अपने हर संबोधन के आखिर में लोगों से कोरोना से बचने और तमाम सुरक्षा उपायों का अनुसरण करने का आग्रह करते हैं, लेकिन ठाकरे की मौजूदगी में महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति पर उनकी चिंता ने सबका ध्यान आकर्षित किया. यह सब कुछ ऐसे समय में हुआ है जब महाराष्ट्र में धार्मिक स्थलों को खोले जाने की मांग को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर के बाहर प्रदर्शन किया.
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी इस सिलसिले में ठाकरे को पत्र लिखा है. इसके जवाब में ठाकरे ने कोश्यारी को सूचित किया है कि राज्य में कोविड-19 संबंधी हालात की पूरी समीक्षा के बाद धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने का फैसला किया जाएगा. महाराष्ट्र में सोमवार को कोविड-19 के 7,089 नए मामले सामने आने के बाद राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 15,35,315 हो गई. संक्रमण से अब तक देश में हुई कुल 1,09,856 मौतों में से महाराष्ट्र में 40,514 लोगों की जान गई है.
Source : Bhasha