कांग्रेस ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ चल रहे गतिरोध की पृष्ठभूमि में शनिवर को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में देश को वास्तविकता बतानी चाहिए और चीनी सैनिकों के कब्जे से भारतीय सरजमीं को मुक्त कराने के लिए ‘राजधर्म’ का पालन करना चाहिए. पार्टी के वरिष्ठ नेता कपलि सिब्बल ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को लद्दाख में जिस स्थान पर गए थे वह कोई अग्रिम मोर्चा नहीं है, बल्कि एलएसी से 230 किलोमीटर दूर है.
उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री बनने से पहले अक्सर कहते थे कि हम चीन को लाल आंख दिखाएं. लेकिन अब चीन का नाम नहीं ले रहे.’’ कांग्रेस नेता ने लद्दाख के गतिरोध वाले क्षेत्र की उपग्रह से ली गई एक हालिया तस्वीर जारी की, जो एक ब्रिटिश अखबार ने प्रकाशित की है. सिब्बल ने इस तस्वीर का हवाला देते हुए दावा किया कि चीन की सेना ने भारतीय क्षेत्र में कई निर्माण कार्य कर लिए हैं.
उन्होंने सवाल किया, ‘‘प्रधानमंत्री देश को बताएं कि क्या चीनी सैनिकों ने पेंगोंग सो इलाके में फिंगर चार तक कब्जा कर रखा है या नहीं? क्या यह वास्तविकता नहीं है? क्या वह इलाका हमारी मातृभूमि नहीं है?’’ कांग्रेस नेता ने यह भी पूछा, ‘‘क्या चीन ने उस स्थान पर कब्जा नहीं किया है जहां हमारे 20 जवान शहीद हुए थे? क्या चीन ने डेपसांग इलाके में वाई जंक्शन पर कब्जा नहीं कर रखा है?’
उन्होंने दावा किया कि 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी गलवान घाटी गईं थीं. लेकिन मोदी जब लद्दाख गए तो सीमा से 230 किलोमीटर दूर गए. हमारे जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें सीमा के नजदीक जाना चाहिए. सिब्बल ने पूछा, ‘‘क्या यह सही नहीं कि लद्दाख में स्थानीय काउंसलर्स, जिनमें भाजपा के काउंसलर भी शामिल हैं, उन्होंने चीन द्वारा हमारी जमीन पर कब्जा करने के बारे में फरवरी, 2020 में प्रधानमंत्री मोदी को ज्ञापन भेजा था? प्रधानमंत्री ने उस पर क्या कार्रवाई की? अगर प्रधानमंत्री ने समय रहते कदम उठाया होता, तो क्या हम चीनियों के अतिक्रमण को पहले ही नहीं रोक देते?’’
उन्होंने कहा, ‘‘समय की मांग है कि भारत चीन की ‘आंखों में आंखें’ डालकर स्पष्ट रूप से बता दे कि चीनियों को भारतीय सरजमीं पर अपने अवैध व दुस्साहसपूर्ण कब्जे को छोड़ना होगा. प्रधानमंत्री जी, यही एकमात्र ‘राज धर्म’ है, जिसका पालन आपको हर कीमत पर करना चाहिए.’’ गौरतलब है कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले कई हफ्तों से गतिरोध चल रहा है. गत 15-16 जून की रात दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. इस झड़प में चीनी पक्ष को भी नुकसान होने की खबरें हैं.
Source : Bhasha