सोशल मीडिया पर इसे लेकर खासी सरगर्मियां हैं कि जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से अनुच्छेद 370 हटाने और अयोध्या में भव्य राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के भूमि पूजन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) इस बार लाल किले की प्राचीर से क्या बड़ा बोलने वाले हैं. हालांकि माना जा रहा है कि कोरोना महामारी (Corona Virus) के साये तले चीन-पाकिस्तान से तनाव के बीच पीएम मोदी का स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) पर संबोधन कुछ अलग हटकर रहेगा. ऐसे में आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के साथ-साथ प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तीसरे बड़े एजेंडे समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के बारे में भी कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं.
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रायशुमारी कर लोगों से जुटाई जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के पहले एक साल के कार्यकाल में लिए गए बड़े और निर्णायक फैसलों के बाद इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से होने वाले उनके संबोधन पर देश-दुनिया की नजरें टिकी हैं. चीन के साथ विवाद और कोरोना संकट में आत्मनिर्भर भारत की भावी कार्य योजना के साथ कुछ नए मिशन सामने आ सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री का इस बार का स्वतंत्रता दिवस संबोधन पिछले संबोधनों से हटकर होगा. अगला एक साल देश को भीतर और बाहर दोनों मोर्चों पर मजबूत करने का होगा, जिसमें संसाधन और सुरक्षा दोनों सरकार के एजेंडे के केंद्र में है. सूत्रों की मानें तो स्वतंत्रता दिवस संबोधन से पहले सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों से व्यापक राय व जानकारी जुटाई है.
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समान नागरिक संहिता पर नजर
दूसरी तरफ भाजपा की भावी राजनीति के लिए भी आने वाला साल महत्वपूर्ण होगा. पिछले एक साल में सरकार ने भाजपा और संघ परिवार के दो बड़े एजेंडे कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करने का काम किया है. अब भाजपा के तीसरे बड़े मुद्दे समान नागरिक संहिता की बारी है. भाजपा नेताओं को लगता है कि लाल किले की प्राचीर से भले ही प्रधानमंत्री के संबोधन में इसका जिक्र न हो लेकिन इस तरह के संकेत हो सकते हैं जिससे मौजूदा हालात में राष्ट्रीय एकता और अखंडता की मजबूती की तरफ सरकार कदम बढ़ा सकती है. भाजपा के एक बड़े नेता के मुताबिक सभी काम संवैधानिक तरीके से और पूर्ण न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही कर रहे हैं. पिछली सरकारों ने इस बारे में न तो इच्छाशक्ति दिखाई और ना ही संवैधानिक तरीके से काम करने की कोशिश की गई.