प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के परिसर में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया है. उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया है. जेएनयू में जय श्रीराम के नारों के साथ पीएम मोदी का स्वागत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के समय किया गया है. इस दौरान उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी कामना है कि JNU में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा, सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे. ये प्रतिमा वो साहस दे, courage दे, जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे. ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, compassion सिखाए, जो स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार है.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि जब उस समय पूरे देश में निराशा थी तो स्वामी विवेकानंद ने संयुक्त राज्य अमेरिका में मिशिगन विश्वविद्यालय में कहा था- यह दशक आपका है, लेकिन 21 वीं सदी निस्संदेह भारत की होगी. आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारा लक्ष्य भौतिक या भौतिक आत्मनिर्भरता तक सीमित नहीं है. यह गतिशील है और एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करता है. एक राष्ट्र तभी आत्मनिर्भर बनता है जब कोई राष्ट्र सोच, व्यवहार और संसाधनों में आत्मनिर्भर हो.
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि ये प्रतिमा देश को youth-led development के Vision के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है. ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रहे. देश का युवा दुनियाभर में Brand India का Brand Ambassador हैं. हमारे युवा भारत के Culture और Traditions का प्रतिनिधित्व करते हैं. आपसे अपेक्षा सिर्फ हज़ारों वर्षों से चली आ रही भारत की पहचान पर गर्व करने भर की ही नहीं है, बल्कि 21वीं सदी में भारत की नई पहचान गढ़ने की भी है.
उन्होंने आगे कहा कि जब-जब भारत का सामर्थ्य बढ़ा है , तब तब उससे दुनिया को लाभ हुआ है. भारत की आत्मनिर्भरता में आत्मवत सर्वभूतेषु की भावना जुड़ी हुई है, पूरे संसार के कल्याण की सोच जुड़ी हुई है. आज सिस्टम में जितने रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उऩके पीछे भारत को हर प्रकार से बेहतर बनाने का संकल्प है. आज हो रहे रिफॉर्म्स के साथ नीयत और निष्ठा पवित्र है. आज जो रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं, उससे पहले एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है. इस कवच का सबसे बड़ा आधार है- विश्वास.
उन्होंने आगे कहा कि इस कैंपस में एक लोकप्रिय जगह है- साबरमती ढाबा, आज तक आपके Ideas की, Debate की, Discussion की जो भूख साबरमती ढाबा में मिटती थी.अब आपके लिए स्वामी जी की इस प्रतिमा की छत्रछाया में एक और जगह मिल गई है. राष्ट्र के हित में हमारी विचारधारा होनी चाहिए. जब-जब देश के सामने कोई कठिन समय आया है, हर विचार हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं. आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आए थे. उन्होंने देश के लिए एक साथ संघर्ष किया था.
पीएम ने आगे कहा किस्वार्थ के लिए अपनी विचारधारा से समझौता करना भी गलत है. अब इस तरह का अवसरवाद सफल नहीं होता। रोजमर्रा की जिंदगी में हम ये देख भी रहे हैं. हमें अवसरवाद से दूर स्वस्थ संवाद को लोकतंत्र में जिंदा रखना है. Idea sharing को, नए विचारों के प्रवाह को अविरल बनाए रखना है. हमारा देश वो भूमि है जहां अलग-अलग बौद्धिक विचारों के बीज अंकुरित होते रहे हैं और फलते फूलते भी हैं. इस परंपरा को मजबूत करना युवाओं के लिए आवश्यक है. इसी परंपरा के कारण भारत दुनिया का सबसे vibrant लोकतंत्र है.
Source : News Nation Bureau