भारत-जापान के संबंधों को मजबूत करने के लिए इंडो-जापान संवाद का आयोजन हो रहा है. इस कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं भारत-जापान संवाद को निरंतर समर्थन के लिए जापान सरकार को धन्यवाद देना चाहूंगा इस मंच ने भगवान बुद्ध के विचारों और आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए बहुत काम किया है, खासकर युवाओं में. ऐतिहासिक रूप से, बुद्ध के संदेश की रोशनी भारत से दुनिया के कई हिस्सों में फैली है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए छठवें भारत-जापान संवाद सम्मेलन को संबोधित किया. अपने संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं भारत-जापान संवाद को निरंतर समर्थन देने के लिए जापान सरकार का धन्यवाद करना चाहूंगा. उन्होंने एक पारंपरिक बौद्ध साहित्य के पुस्तकालय और शास्त्रों के निर्माण का प्रस्ताव दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि ऐसा पुस्तकालय भारत में बनता है तो यह हमारे लिए खुशी की बात होगी.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक विकास पर चर्चा केवल कुछ के बीच नहीं हो सकती है. टेबल बड़ा होना चाहिए. एजेंडा व्यापक होना चाहिए. ग्रोथ पैटर्न को मानव-केंद्रित दृष्टिकोण का पालन करना चाहिए और, हमारे परिवेश के अनुरूप हो. अतीत में मानवता ने अक्सर सहयोग के बजाय टकराव का रास्ता अपनाया. साम्राज्यवाद से लेकर विश्व युद्ध तक. हथियारों की दौड़ से लेकर अंतरिक्ष की दौड़ तक. हमारे पास संवाद थे, लेकिन वे दूसरों को नीचे खींचने के उद्देश्य से थे. अब, हम एक साथ बढ़े.
Source : News Nation Bureau