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पिछले 4 साल में कांग्रेस पर चला नरेंद्र मोदी का जादू, इतना बदल गया पार्टी का चाल, चरित्र और चेहरा

2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की मोदी की सुनामी ले डूबी. इसके बाद एक के बाद एक राज्‍य कांग्रेस के हाथ से निकलते गए.

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Drigraj Madheshia
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पिछले 4 साल में कांग्रेस पर चला नरेंद्र मोदी का जादू, इतना बदल गया पार्टी का चाल, चरित्र और चेहरा

मोदी-शाह का मंत्र है जिसे राहुल गांधी ने आत्‍मसात कर लिया

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2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की मोदी की सुनामी ले डूबी. इसके बाद एक के बाद एक राज्‍य कांग्रेस के हाथ से निकलते गए. साल 2018 कांग्रेस (congress) के लिए संजीवनी साबित हुआ. राजस्‍थान (Election Results 2018) और मध्‍य प्रदेश (MP Election Results 2018) जैसे बड़े राज्‍य में जीत और छत्‍तीसगढ़ में बीजेपी का सूपड़ा साफ करके मोदी-शाह (Narendra modi-Amit shah) के कांग्रेस मुक्‍त भारत (Congress Free India) के सपने को चकनाचूर कर दिया. कांग्रेस की यह सफलता अचानक नहीं मिली. इसके पीछे स्‍वयं बीजेपी और मोदी-शाह का मंत्र है जिसे राहुल गांधी ने आत्‍मसात कर लिया और बीजेपी को शिकस्‍त दे दी. आइए जानें कौन से हैं वो तीर जो थे तो बीजेपी के लेकिन चलाया कांग्रेस ने...

1. राहुल गांधी का सॉफ्ट हिन्‍दुत्‍व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले बहुत कम ऐसे प्रधानमंत्री हुए जो सार्वजनिक तौर पर मंदिरों में गए और वहां पूजा-अर्चना की. अजमेर में चादर चढ़ाने की तस्‍वीरें तो कई प्रधानमंत्रियों के देखने को मिले लेकिन गंगारती अगर किसी ने की तो वो हैं पीएम मोदी. मोदी का इरादा साफ है, 18 के बजाया 82 पर फोकस करो. राहुल भ्‍ज्ञी अब तुष्‍टिकरण की राह छोड़ इसी फार्मूले को अपना रहे हैं.

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पहले लोकसभा चुनाव और उसके बाद राज्‍यों में भाजपा से करारी मात मिलने के बाद गुजरात चुनाव के ऐन पहले कांग्रेस ने सॉफ्ट हिन्‍दुत्‍व की राह अपनाई थी. इसके तहत राहुल गांधी ने गुजरात के कई मंदिरों में देवी-देवताओं के दर्शन किए, पुजारियों-महंतों से मिले और धामिर्क सभाओं में हिस्‍सा लिया. उन्‍होंने यह जताने की कोशिश की कि कांग्रेस भी हिन्‍दुओं की हिमायती है और वह केवल मुसलमानों के बारे में ही नहीं सोचती. गुजरात विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को इसका लाभ भी मिला और उसने सत्‍तारूढ़ भाजपा को कड़ी टक्‍कर दी. हालांकि वह सत्‍ता में नहीं आ सकी, लेकिन इससे बेजान सी कांग्रेस में नई जान आ गई. अब मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ समेत पांच राज्‍यों में हो रह चुनाव में भी राहुल मंदिरों, मठों, गुरुद्वारों की शरण में थे. यहां इनको फायदा भी मिला. नतीजा सामने है.

कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने उत्‍तराखंड के विधानसभा चुनावों के समय भी यही तरीका अपनाया. वहां भी उन्‍होंने कई मंदिरों में जाकर देवी-देवताओं के दर्शन किए और महंतों व पुजारियों से आशीर्वाद लिया. हालांकि चुनाव में इसका खास फायदा नहीं मिल सका था. दूसरी ओर, उत्‍तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी मंदिरों में जाने को लेकर उतने उत्‍सुक नहीं दिखे. इसका कारण यह था कि राज्‍य में मुस्‍लिम आबादी अधिक है और इससे मुसलमान वोटर उनसे नाराज हो सकते थे.

कैलास मानसरोवर की यात्रा पर गए थेः कुछ दिनों पहले राहुल गांधी ने कैलास मानसरोवर जाकर भगवान शंकर से आशीष ली थी. कैलास मानसरोवर जाकर उन्‍होंने कई ट्वीट भी किए थे, जिस पर काफी वाद-विवाद भी हुआ था. राहुल गांधी के अनुसार, वह भगवान शंकर को आराध्‍य मानते हैं.

2. गोत्र का माया जाल

गाय, गंगा औरर गोत्र कभी बीजेपी के मुद्दे हुआ करते थे लेकिन हाल ही में पांच राज्‍यों सपन्‍न हुए चुनाव में राहुल गांधी के गोत्र को लेकर बीजेपी हमलावर रही. बीजेपी के हर हमले को राहुल ने नाकाम किया. कांग्रेस का थिंक टैंक राहुल गांधी को सच्‍चा हिन्‍दू साबित करने पर तुला रहा.

विकास की गंगा बहाते-बहाते राजनेता कब तू-तू, मैं-मैं पर उतर आते हैं, पता नहीं चलता. हालिया विधानसभा चुनावों को ही लें, विकास के दावे से शुरू हुआ चुनावी अभियान गोत्र, खानदान और वंशज खंगालने तक पर आ गया. इसी कड़ी में कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी के गोत्र (Rahul Gandhi gotra) पर सवाल उठे, राहुल गांधी ने उसका जवाब भी दिया. राहुल गांधी का कहना है कि उनका गोत्र ‘दत्‍तात्रेय’ है. उनके गोत्र बताने के बाद से एक नई बहस शुरू हुई. कुछ जानकार दत्‍तात्रेय को गोत्र ही नहीं मान रहे तो कुछ का कहना है कि राहुल गांधी ने अपना नहीं पंडित जवाहरलाल नेहरू का गोत्र बताया. बहर हाल गोत्र का तीर बीजेपी पर उल्‍टा पड़ गया.

3. गाय प्रेमी हो गए कांग्रेसी मुख्‍यमंत्री

गाय, गंगा और देवी-देवताओं पर अक्‍सर कन्‍नी काटने वाले कांग्रेसी दिग्‍गज अब खुलकर इसके सपोर्ट में आने लगे हैं. कांग्रेस नेताओं के लिए गाय, गंगा और देवी-देवता तभी मुद्दा बनते थे जब बीजेपी कुछ करती थी. कांग्रेस अब भली भांति समझ गई है कि गाय, गंगा और देवी-देवताओं हिंदुओं की आस्‍था सीधे तौर पर जुड़ी हई है. ऐसे में कांग्रेस अब हिंदू वोटरों को किसी भी किमत पर निराश नहीं करना चाहती. शायद यही वजह है कि मध्‍य प्रदेश के सीएम अचानक गाय प्रेमी हो गए और उनका हनुमान के प्रति भक्ति चुनाव के दौरान चरम पर पहुंचने लगी. यहां तक की कांग्रेस की रैलियों में जय श्रीराम के भी नारे लगे.

4 कार्यकर्ताओं और वोटरों से सीधा संवाद

बीजेपी सबसे बड़ी शक्‍ति उसके कार्यकर्ता हैं. बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं के दम पर ही चुनावों में कांग्रेस पर भारी पड़ती आई. चाहे बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह हों या स्‍वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मन की बात और नमो एप के जरिए मोदी आम जनता से सीधे जुड़े रहते हैं. चुनाव के दौरान बीजेपी के वोटों को सहेजने के लिए बूथ लेवल पर पसीना बहाया जाता है. बीजेपी के इस मंत्र को भी राहुल ने आत्‍मसात कर लिया. कांगेस ने 'शक्ति’ एप के जरिए बूथ लेवल तक मतदाताओं पर अपनी पकड़ मजबूत की. इसका उद्देश्‍य बूथ स्तर तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पहचान करना, नए कार्यकर्ताओं को कांग्रेस से जोड़ना, वोटर को कांग्रेस के पक्ष में लाना और फिर उसे वोटिंग के दिन बूथ तक ले जाना था. कांग्रेस का यह प्रयास रंग लाया और तीनों राज्‍यों का परिणाम सामने है.

5 सोशल मीडिया का बखूबी उपयोग

बीजेपी का सबसे बड़ा हथियार सोशल मीडिया भी है. जहां-जहां बीजेपी की सरकारें हैं वहां के विकास कार्यों की झलक सोशल मीडिया पर नजर आती है. फेसबुक हो या ट्वीटर बीजेपी के लाखों फालोवर हैं. कांग्रेस ने भी मोदी-शाह के इस मंत्र को बखूबी भूनाया. इसका फायदा ये हुआ कांग्रेस की बात लोगों तक सीधे पहुंचने लगी. मध्‍य प्रदेश में तो कमलनाथ ने ट्वीटर पर 40 सवाल पूछकर शिवराज सरकार की जड़ें हिला दी.

अब क्‍या करेगी बीजेपी
2019 के लोकसभा चुनावों की उल्‍टी गिनती शुरू हो गई है. बीजेपी के तरकश के अधिकतर तीर अब कांग्रेस के पास हैं. ऐसे में बीजेपी को 2019 की जंग जीतने के लिए कुछ नए हथियार निकालने होंगे. कुछ ऐसे मुद्दे लताशने होंगे जो अभी कांग्रेस ठीक से नहीं उठा सकी है.राम मंदिर, किसानों की कर्जमाफी बीजेपी के लिए तुरुप का इक्‍का साबित हो सकते हैं.

Source : News Nation Bureau

Narendra Modi amit shah Election Results 2018 Congress Free India
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