पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- उर्जित पटेल ने निजी कारणों से दिया इस्तीफा, नहीं था कोई राजनीतिक दबाव

पीएम मोदी ने आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल मामले पर खुलासा करते हुए कहा कि उन पर कोई इस्तीफे के लिए कोई राजनीतिक दबाव नहीं था.

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Vineeta Mandal
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पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- उर्जित पटेल ने निजी कारणों से दिया इस्तीफा, नहीं था कोई राजनीतिक दबाव

पीएम मोदी ने उर्जित पटेल पर किया बड़ा खुलासा

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नए साल के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न्यूज एजेंसी एएनआई को इंटरव्यू दिया है. जिसमें उन्होंने आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल मामले पर भी बड़ा बयान दिया है. पीएम मोदी ने कहा, 'उर्जित पटेल ने अपने निजी कारणों की वजह से इस्तीफा दिया था. मैं पहली बार यह खुलासा कर रहा हूं कि उन्होंने यह बात मुझसे 6-7 महीने पहले ही कह दिया था. यहां तक कि उन्होंने यह बात मुझे लिखकर दिया था. उनपर किसी तरह का कोई राजनीतिक दबाव नहीं था. आरबीआई के गवर्नर के तौर पर उन्होंने काफी अच्छा काम किया था.'

बता दें कि हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर पद से उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने 'निजी कारणों' का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया था .पटेल (Urjit Patel) ने इस्तीफा ऐसे समय दिया है जब सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच अर्थव्यवस्था में नकदी (liquidity) और ऋण (credit) की कमी को लेकर खींचातान चल रही थी, जिसके परिप्रेक्ष्य में 19 नवंबर को आरबीआई (RBI) (RBI) बोर्ड की एक असाधारण बैठक भी हुई थी.

गौरतलब है कि उर्जित पटेल (Urjit Patel) ने 4 सिंतबर 2016 को तीन वर्ष के कार्यकाल के लिए आरबीआई (RBI) (RBI) गवर्नर का पद संभाला था. इससे पहले रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन (raghuram rajan) के कार्यकाल में विस्तार नहीं हुआ था.

इन मुद्दों पर सरकार और आरबीआई के बीच था मतभेद

सरकार का आरबीआई (RBI) के साथ चार मुद्दों पर मतभेद था. सरकार क्रेडिट फ्रीज के किसी भी खतरे को दूर करने के लिए नकदी समर्थन चाहती है. दूसरा ऋणदाताओं के लिए पूंजी जरूरतों में छूट, तीसरा गैर निष्पादित संपत्ति या खराब ऋण से जूझ रहे बैंकों के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) नियमों में छूट और चौथा सूक्ष्म, छोटे व मझौले उद्योग को समर्थन है.

सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच संबंध अक्टूबर में तब फिर से खराब हो गए थे, जब आरबीआई (RBI) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने लोगों को संबोधित करते हुए रिजर्व बैंक की स्वतंत्रता की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि इस बाबत किसी भी प्रकार का समझौता अर्थव्यवस्था के लिए 'संभावित विनाश' का कारण बन सकता है.

सरकार ने वित्त मंत्रालय की ओर से इसका जवाब दिया और आरबीआई (RBI) अधिनियम की धारा 7 के तहत (जिसका इस्तेमाल पहले कभी नहीं हुआ था) केंद्रीय बैंक से विचार-विमर्श करने का प्रस्ताव रखा. यह धारा सरकार को आरबीआई (RBI) गवर्नर को दिशा-निर्देश देने का अधिकार देती है. इसके बाद गवर्नर ने बैंक बोर्ड की बैठक बुलाई थी.

सरकार का आरबीआई (RBI) के साथ चार मुद्दों पर मतभेद था. सरकार क्रेडिट फ्रीज के किसी भी खतरे को दूर करने के लिए नकदी समर्थन चाहती है. दूसरा ऋणदाताओं के लिए पूंजी जरूरतों में छूट, तीसरा गैर निष्पादित संपत्ति या खराब ऋण से जूझ रहे बैंकों के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) नियमों में छूट और चौथा सूक्ष्म, छोटे व मझौले उद्योग को समर्थन है.

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नकदी मामले में सरकार की मांग थी कि आरबीआई (RBI) अपने 'आर्थिक पूंजी ढांचे' में बदलाव कर अपने सरप्लस रिजर्व को सरकार को सुपुर्द करे. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार ने भारी राजकोषीय घाटे और चुनावी वर्ष में अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए यह मांग रखी.

रिजर्व के मुद्दे पर, आरबीआई (RBI) बोर्ड ने इसके आर्थिक पूंजीगत ढांचे की जांच करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का फैसला किया, जो यह निर्णय करेगी कि आरबीआई (RBI) को कितना र्जिव रखना है और कितना सरकार को सुपुर्द करना है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरबीआई (RBI) बोर्ड बैठक से पहले पटेल से मुलाकात की थी.

Source : News Nation Bureau

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