स्वामी आत्मस्थानानन्द की जन्मजयंती पर PM मोदी ने कहा कि हमारे देश में संन्यास की महान परंपरा रही है. वानप्रस्थ आश्रम भी संन्यास की दिशा में एक कदम माना गया है. सन्यास का अर्थ ही है स्वयं से ऊपर ऊठकर समष्टि के लिए कार्य करना और जीना है. संन्यासी के लिए जीव सेवा में प्रभू सेवा को देखना होता है. पीएम मोदी ने कहा कि स्वामी आत्मस्थानानन्द जी को श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य, पूज्य स्वामी विजनानन्द जी से दीक्षा मिली थी. स्वामी रामकृष्ण परमहंस जैसे संत का वो जाग्रत बोध, वो आध्यात्मिक ऊर्जा उनमें स्पष्ट झलकती थी.
Be it Adi Shankaracharya hundreds of years back or Swami Vivekananda in modern times - our 'Sant parampara' has always proclaimed 'Ek Bharat Shreshth Bharat': Prime Minister Narendra Modi pays tributes to Swami Atmasthananda on his birth centenary pic.twitter.com/JLnBKo4P2s
— ANI (@ANI) July 10, 2022
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संन्यासी के लिए जीव सेवा में प्रभु सेवा को देखना, जीव में शिव को देखना, यही सर्वोपरि है. इस महान संत परंपरा को, सन्यस्थ परंपरा को स्वामी विवेकानंद जी ने आधुनिक रूप में ढाला. स्वामी आत्मस्थानानन्द जी ने भी सन्यास के इस स्वरूप को जीवन में जिया, और चरितार्थ किया. सैकड़ों साल पहले आदि शंकराचार्य हों या आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद, हमारी संत परंपरा हमेशा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का उद्घोष करती रही है. रामकृष्ण मिशन की तो स्थापना ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विचार से जुड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि आप देश के किसी भी हिस्से में जाइए, आपको ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र मिलेगा जहां विवेकानंद जी गए न हों, या उनका प्रभाव न हो. उनकी यात्राओं ने गुलामी के उस दौर में देश को उसकी पुरातन राष्ट्रीय चेतना का अहसास करवाया, उसमें नया आत्मविश्वास फूंका:
हमारे देश में सन्यास की महान परंपरा रही है. वानप्रस्थ आश्रम भी सन्यास की दिशा में एक कदम माना गया है. सन्यास का अर्थ ही है स्वयं से ऊपर ऊठकर समष्टि के लिए कार्य करना और जीना है. सन्यासी के लिए जीव सेवा में प्रभू सेवा को देखना होता है: स्वामी आत्मस्थानानन्द की जन्मजयंती पर PM मोदी pic.twitter.com/8NOlu8EVJ1
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पीएम मोदी ने कहा कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस, एक ऐसे संत थे जिन्होंने मां काली का स्पष्ट साक्षात्कार किया था, जिन्होंने मां काली के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था. वो कहते थे- ये सम्पूर्ण जगत, ये चर-अचर, सब कुछ मांकी चेतना से व्याप्त है. यही चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है. हमारे संतों ने हमें दिखाया है कि जब हमारे विचारों में व्यापकता होती है, तो अपने प्रयासों में हम कभी अकेले नहीं पड़ते! आप भारत वर्ष की धरती पर ऐसे कितने ही संतों की जीवन यात्रा देखेंगे जिन्होंने शून्य संसाधनों के साथ शिखर जैसे संकल्पों को पूरा किया. माँ काली का वो असीमित-असीम आशीर्वाद हमेशा भारत के साथ है. भारत इसी आध्यात्मिक ऊर्जा को लेकर आज विश्व कल्याण की भावना से आगे बढ़ रहा है.
Source : News Nation Bureau