गंगा नदी को प्रवाहमान बनाने तथा प्रदूषित न होने देने के लिए अनशनरत डा. जी. डी. अग्रवाल के निधन के एक माह बाद एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि पीएम ऑफ़िस ने डा. आग्रवाल का वह ख़त रिसीव किया था जिसमें गंगा के संरक्षण को लेकर कई सुझाव दिए गए थे. इसके बावजूद पीएम ऑफ़िस से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई. बता दें कि डा. जी. डी. अग्रवाल गंगा संरक्षण को लेकर अपनी आख़िरी सांस तक अनशन पर थे.
अग्रवाल गंगा प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने, गंगा के अंदर पनबिजली, गंगा किनारे बालू खनन समेत सभी तरह के प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग की थी. डा. जी. डी. अग्रवाल 112 दिनों तक अनशन पर रहे, आख़िरकार 11 अक्टूबर को ऋषिकेष स्थित एम्स में उन्होंने आख़िरी सांस ली.
डा. जी. डी. अग्रवाल ने पीएम कार्यालय को पहले 24 फरवरी और बाद में 13 जून और 23 जून को चिट्ठी लिखी थी. इन सभी ख़तो में अग्रवाल ने पीएम मोदी से स्वच्छ और अविरल गंगा को लेकर कई सुझाव दिए थे. हरिद्वार स्थित मैत्री सदन आश्रम का कहना है कि इस संबंध में पीएम कार्यालय द्वारा ख़त रिसीव करने के बावजूद कोई एक्शन नहीं लिया गया. बता दें कि यह वही आश्रम है जहां डा. अग्रवाल यानी कि स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद ने आमरण अनशन शुरू किया था.
14 अक्टूबर को बिहार के कार्यकर्ता उज्जवल कृष्णन द्वारा दाख़िल किए गए आरटीआई के जवाब के मुताबिक 13 और 23 जून को मिले ख़त को 20 अगस्त को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा जीर्णोद्धार मंत्रालय के सचिव के पास आगे की कार्रवाई के लिए बढ़ाया गया था.
Source : News Nation Bureau