पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के 11,400 करोड़ रुपये के घोटाले पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), इनकम टैक्स (आईटी) की बड़ी कार्रवाई के बाद एक और जांच एजेंसी एक्शन में आ गई है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सोमवार को पीएनबी और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को कहा कि मौद्रिक समीक्षा होने के बावजूद इतना बड़ा घोटाला कैसे हो गया, इस पर रिपोर्ट जमा करे।
सीवीसी ने पीएनबी को 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट तैयार कर जमा करने के लिए कहा है। सीवीसी सरकारी भ्रष्टाचार के निपटारे के लिए सर्वोच्च संस्था है।
इससे पहले सोमवार को पीएनबी, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और वित्तीय सेवा विभाग के अधिकारियों ने इस मामले में सीवीसी को दो घंटे लंबे प्रेंजेटेशन दिए, जिन्हें सीवीसी ने समन किया था।
कानून प्रवर्तन एजेंसी ने घोटाले में शामिल अधिकारियों के नामों के बारे में पूछा है और उन अधिकारियों के नाम पता लगाने को कहा है जो इसके खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
पीएनबी और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सीबीआई के अधिकारियों के साथ इस मामले पर बैठक की।
सीबीआई ने सीवीसी को कहा कि यह कई स्तरों पर सिस्टम की विफलता है। बता दें कि ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स के बाद सीवीसी चौथी सरकारी एजेंसी है जो पीएनबी घोटाले में जांच के लिए सामने आई है।
वित्त मंत्रालय ने सोमवार को ये स्पष्ट किया कि ऐसी खबरें प्रसारित की जा रही हैं कि पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में हुए 1.8 अरब डॉलर के घोटाले से भारतीय बैंकों को तीन अरब डॉलर का नुकसान हुआ है, जो कि पूरी तरह गलत है।
सोमवार शाम को इस मामले में सीबीआई ने पंजाब नेशनल बैंक के तीन अन्य अधिकारियों को गिरफ्तार किया, जिसमें बेचू तिवारी, यशवंत जोशी और प्रफुल्ल सावंत शामिल हैं।
5716 करोड़ रुपये की संपत्ति सीज
बता देें कि ईडी ने सोमवार को भी देश के विभिन्न शहरों में 40 से ज्यादा स्थानों पर छापेमारी की। एजेंसी ने मुंबई में 10 जगहों पर तथा अहमदाबाद और बेंगलुरू में छह-छह जगहों पर, चेन्नई में चार जगहों पर, सूरत में तीन, बिहार, लखनऊ, जालंधर और हैदराबाद में दो-दो जगहों पर तथा दिल्ली में एक स्थान पर छापेमारी की है। घोटाला मामले में अभी तक छापे में 5716 करोड़ रुपये की संपत्ति का सीज कर लिया गया है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि पंजाब नेशनल बैंक ने 11,400 करोड़ रुपये के घोटाले के बारे में पिछले सप्ताह जानकारी दी थी, जिसमें हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने पीएनबी के एक ब्रांच से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के जरिये विदेशों में दूसरे भारतीय बैंकों से पैसे निकाले।
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यह घोटाला 2011 में ही शुरु हुआ था और इस साल जनवरी के तीसरे सप्ताह में सामने आया जिसके बाद पीएनबी अधिकारियों ने संबंधित एजेंसियों को इसकी सूचना दी थी।
पीएनबी ने इस मामले में सीबीआई के समक्ष 13 फरवरी को दूसरी एफआईआर फाइल की थी। इससे पहले सीबीआई ने 28 जनवरी को पीएनबी से पहली शिकायत प्राप्त की थी और 28 जनवरी को केस दर्ज किया था।
इस मामले में गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों से सीबीआई की पूछताछ में कई अहम खुलासे सामने आ रहे हैं। पूछताछ के दौरान सामने आया कि बड़े अधिकारियों की जानकारी में ही लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) बनाई जाती थी।
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि पीएनबी ब्रांच के सभी कर्मचारियों में रकम बंटती थी, इसमें एलओयू की रकम के हिसाब से कमीशन तय होता था।
सीबीआई ने कहा कि इस घोटाले में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के अलावा कई अन्य लोगों के नाम सामने आ सकते हैं। इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब विदेश में स्थित भारतीय बैंकों ने पीएनबी से पैसों की मांग की थी।
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HIGHLIGHTS
- सीवीसी ने कहा, मौद्रिक समीक्षा होने के बावजूद इतना बड़ा घोटाला कैसे हो गया
- सीवीसी ने पीएनबी को 10 दिनों का समय देकर रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है
- ईडी ने सोमवार को भी देश के विभिन्न शहरों में 40 से ज्यादा स्थानों पर छापेमारी की
Source : News Nation Bureau