जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की खात्मे के बाद पाकिस्तान भारत के खिलाफ सड़क से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक जहर उगल रहा है. वह दूसरे देशों के सामने भारत के खिलाफ कार्वाई करने के लिए गिड़गिड़ा रहा है पर चीन को छोड़ किसी ने भी उसे घास नहीं डाली. वहीं भारत ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि अब पाकिस्तान के साथ बात तभी होगी जब आतंकवाद को समर्थन देना बंद कर देगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा है कि कहा है कि, अब पाकिस्तान के साथ कोई बात होगी तो वो केवल पीओके को लेकर होगी. तो आइए जानें उस पीओके यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले हमारे कश्मीर की खासियत...
गिलगित-बल्तिस्तान
गिलगित-बल्तिस्तान कश्मीर का सबसे खूबसूरत हिस्सा माना जाता है जो कि सात जिलों से मिलकर बना है. दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ की चोटियों में से कई इस क्षेत्र में हैं. इसके अलावा खूबसूरत लेक और नदी भी यहां हैं. कश्मीर की खूबसूरती उसकी वैली हैं. वैसे अधिकतर वैली पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में हैं.
हुंजा वैली
- हुंजा वैली यह पाकिस्तान का सबसे मशहूर पर्यटन स्थल है.
- हुंजा घाटी पाक अधिकृत कश्मीर में आती है.
- इस जगह को युवाओं का नखलिस्तान भी कहा जाता है.
- हुंजा घाटी एक समय भारत का हिस्सा थी, लेकिन बंटवारे के बाद यह पाक अधिकृत कश्मीर में आती है.
- गिलगित-बाल्टिस्तान के पहाड़ों में स्थित हुंजा घाटी भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा के पास स्थित है.
हुजा जनजाति
- हुजा जनजाति के लोगों की संख्या तकरीबन 87 हजार के पार है.
- इस वैल में रहने वाले हुंजा समुदाय के लोगों की औसत उम्र 120 साल है. इस वजह से पूरे विश्व में इस वैली की चर्चा होती है.
- इस कम्यूनिटी पर कई किताबें लिखी जा चुकीं हैं.
- दिल की बीमारी, मोटापा, ब्लड प्रेशर, कैंसर जैसी दूसरी बीमारियों का हुंजा जनजाति के लोगों ने शायद नाम तक नहीं सुना है.
यह भी पढ़ेंः अब सिर्फ Pok पर होगी पाकिस्तान से बात, पंचकुला में बोले राजनाथ सिंह
- इनकी सेहत का राज इनका खान-पान है. यहां के लोग पहाड़ों की साफ हवा और पानी में अपना जीवन व्यतीत करते हैं.
- ये लोग खूब पैदल चलते हैं और कुछ महीनों तक केवल खूबानी खाते हैं.
- तकरीबन 60 साल तक जवान बने रहते हैं और मरते दम तक बीमारियों से बचे रहते हैं.
- ये लोग वही खाना खाते हैं जो ये उगाते हैं.
- खूबानी के अलावा मेवे, सब्जियां और अनाज में जौ, बाजरा और कूटू ही इन लोगों का मुख्य आहार है. इनमें फाइबर और प्रोटीन के साथ शरीर के लिए जरूरी सभी मिनरल्स होते हैं.
- ये लोग अखरोट का खूब इस्तेमाल करते हैं.
गोरीकोट वैली
- कुल 12 गावों वाली यह वैली पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के अस्तोर ज़िले की सबसे बड़ी घाटी है.
- उस ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है. यह नंगा परबत जाने वाले मार्ग और प्रसिद्द देओसाई मैदान जाने वाले मार्ग के चौराहे पर स्थित है
- स्थानीय लोग इसे ग्यू के नाम से जानते हैं. यह 8,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
रूपल वैली
- यह घाटी भी एस्तोर जिले का ही हिस्सा है.
- यह नंगा पर्वत के दक्षिणी हिस्से पर स्थित है.
- ट्रेकिंग के शौकिन पर्यटकों के लिए यह घाटी जन्नत है.
नागर वैली
गिलगिट वैली के नजदीक, नागर जिले में स्थित यह खूबसूरत वैली समुद्र तल से लगभग 8 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
नाल्तार वैली
हुंजा घाटी के समीप स्थित यह खूबसूरत वैली समुद्र तल से 15,000 फिट की उंचाई पर स्थित है. हालांकि यहां जीप के द्वारा असानी से पहुंचा जा सकता है.
हिस्पर वैली
नागर शहर से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हिस्पर वैली ट्रेकिंग के लिए काफी मशहूर है.
इश्कोमान वैली
- समुद्र तल से इस वैली की ऊंचाई 7 हजार से 12 हजार फीट है.
- गिजर जिले में स्थित यह घाटी अफगानिस्तान के सीमा के समीप पड़ती है.
- इस घाटी में कुल 20 गांव हैं.
चपुरसन वैली
इस घाटी में 8 गांव है. यह अफगानिस्तान और चीन की सीमा पर स्थित है.
कटपना वैली
यह एक कोल्ड डेजर्ट है.यह पीओके में स्कारडू के नजदीक स्थित है.
स्कारडू वैली
- यह सिंधु और शिगार नदी के संगम पर करीब 2,500 metres (8,202 feet) की उंचाई पर स्थित है.
- एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में स्कारडू पूरे विश्व में मशहूर है.
- 10 किलोमीटर चौड़ी और 40 किलोमीटर लंबी इस घाटी में कई झील मौजूद हैं.
- इस वैली के आसपास कई लेक और पहाड़ हैं.
- बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन में भी इस वैली की गिनती होती है.
शिगार घाटी
- शिगार घाटी का नाम शिगार नदी के नाम पर पड़ा है.
- ये घाटी 170 किलोमीटर तक फैली है जो स्कार्दू से असकोल तक जाती है और यहीं से काराकोरम पर्वत श्रृंखला की शुरुआत होती है.
- शिगार का कस्बा घाटी की सबसे बड़ी बसावट है. हालांकि ये इलाका सुदूर क्षेत्र में है और आम लोगों की पहुंच से दूर है लेकिन फिर भी यहां कई गांव मौजूद हैं.
नीलम घाटी
- यहां आकाश छूते पहाड़, हरी-भरी घाटियां, बहती नदियां, खूबसूरत झीलें हैं.
- इसे 'मिनी स्विटज़रलैंड’ भी कहा जाता है.
- घुसपैठ और तनाव के समय यहां लोगों का जीवन दूभर हो जाता है.
- एक रिपोर्ट के मुताबिक लोगों को घंटों बंकरों में बिताने पड़ते हैं.
- घाटी को जोड़ने वाली एक ही सड़क होने के कारण यहां बुनियादी चीजों के दाम भी आसमान छूते हैं.
- नीलम घाटी की कुल आबादी करीब तीन लाख है.
- बीते माह नीलम घाटी में बादल फटने की वजह से अचानक आयी बाढ़ में 23 लोगों की मौत हो गयी और कई अन्य घायल हो गये थे.