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'पीओके भी हमारा न होता, अगर जुल्‍फिकार अली भुट्टो ने इंदिरा गांधी को माइंडगेम में न फंसाया होता'

उन्‍होंने कहा कि युद्ध हारने के बाद भी पाकिस्‍तान ने जम्‍मू-कश्‍मीर के कब्‍जा किए गए हिस्‍सों को बचा लिया. अगर जुल्‍फिकार अली भुट्टो न होते तो पीओके आज भारत का हिस्‍सा होता.

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Sunil Mishra
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'पीओके भी हमारा न होता, अगर जुल्‍फिकार अली भुट्टो ने इंदिरा गांधी को माइंडगेम में न फंसाया होता'

'POK भी हमारा न होता, अगर भुट्टो ने इंदिरा गांधी से चाल न चली होती'

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जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने के बाद से बौखलाए पाकिस्‍तान की संसद में इस पर तगड़ी बहस हुई. विपक्षी दलों ने इमरान खान की सरकार को घेरना शुरू किया. बहस के दौरान आसिफ अली जरदारी ने कहा- पीओके हमारे हाथ से निकल गया होता, अगर तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति जुल्‍फिकार अली भुट्टो ने भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से चालाकी न की होती. उन्‍होंने कहा कि युद्ध हारने के बाद भी पाकिस्‍तान ने जम्‍मू-कश्‍मीर के कब्‍जा किए गए हिस्‍सों को बचा लिया. अगर जुल्‍फिकार अली भुट्टो न होते तो पीओके आज भारत का हिस्‍सा होता. आसिफ अली जरदारी की मानें तो इंदिरा गांधी को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि जुल्फिकार इस हद तक सोच सकते हैं.

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युद्ध में जीतने के बाद भी शिमला समझौते में इंदिरा गांधी ने पाकिस्‍तान के सभी युद्धबंदियों और कब्‍जा की गई जमीन को वापस कर दिया था. इस फैसले को लेकर इंदिरा गांधी की आलोचकों ने काफी निंदा की थी. दरअसल, 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 90,000 से अधिक सैनिकों और नागरिकों को युद्धबंदी बना लिया था. भारतीय सेना पाकिस्तान में कई किलोमीटर अंदर तक चली गई थी. एक अनुमान के मुताबिक, पाकिस्तान की 15,000 वर्ग किलोमीटर की जमीन भारत के कब्‍जे में आ गई थी.

फ्रंटफुट पर रहे भारतीयों को लग रहा था कि अब पीओके पर कब्‍जा हो जाएगा, लेकिन जुल्‍फिकार अली भुट्टो की एक चालाकी से इंदिरा गांधी ऐसा कुछ भी कर पाने में असफल रही थीं. आसिफ अली जरदारी ने पाकिस्‍तान की संसद में दावा किया कि जुल्फिकार अली भुट्टो ने बड़ी समझदारी के साथ इंदिरा गांधी से भारतीय सेना द्वारा कब्‍जाई सारी जमीन और पाक बंदी कैदियों को छुड़वा लिया था. उन्‍होंने कहा कि इमरान खान की सरकार को इस वक्‍त भी कुछ ऐसा ही करना चाहिए. गौरतलब है कि आसिफ अली जरदारी, जुल्फिकार अली भुट्टो के दामाद हैं.

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जरदारी ने बताया कि 1971 के युद्ध के बाद एक बैठक में इंदिरा गांधी ने जुल्फिकार अली भुट्टो से कहा था कि हम आपको भारतीय सेना द्वारा कब्‍जाई गई जमीन या पाक युद्धबंदियों में से कोई एक ही लौटा सकते हैं. आप बताइए कि आपको जमीन चाहिए या युद्धबंदी? इस पर जुल्फिकार अली भुट्टो ने जमीन मांग ली. दरअसल भुट्टो जानते थे कि अंतरराष्‍ट्रीय नियमों के कारण भारत को पाकिस्‍तान के युद्धबंदियों को छोड़ना ही होगा. इसके अलावा 90 हजार से ज्‍यादा युद्धबंदियों को रखना भी भारत के लिए फायदे का सौदा नहीं होगा. ऐसे में इंदिरा गांधी ने जमीन और युद्धबंदी दोनों ही पाकिस्‍तान को लौटा दिए थे.

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डॉन न्यूज के हवाले से जरदारी ने बताया कि 1971 के युद्ध के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो ने जैसे सीमाओं की सुरक्षा की
थी, वैसे ही इस समय के पाकिस्‍तान सरकार को करना चाहिए. पीपीपी के नेता ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष दर्जे को रद करने का भारत का निर्णय पूर्वी पाकिस्तान की त्रासदी के समान ही है. उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दा पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्र होने के बाद की दूसरी बड़ी घटना है.

Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो

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