पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) कुल मिलाकर 47 साल तक संसद के सदस्य रहे। वह 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिये चुने गए। एकमात्र बार वह 1984 में लोकसभा चुनाव हारे थे जब कांग्रेस के माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर में उन्हें करीब दो लाख वोटों से शिकस्त दी थी। वाजपेयी ने 10वीं, 11वीं, 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा में 1991 से 2009 तक लखनऊ का प्रतिनिधित्व किया।
दूसरी और चौथी लोकसभा के दौरान उन्होंने बलरामपुर का नेतृत्व किया, पांचवीं लोकसभा के लिये वह ग्वालियर से चुने गए जबकि छठीं और सातवीं लोकसभा में उन्होंने नयी दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया।
वाजपेयी 1962 और 1986 में राज्यसभा के लिये निर्वाचित हुए। मुंबई में पार्टी की एक सभा में दिसंबर 2005 में वाजपेयी ने चुनावी राजनीति से अपने को अलग करने की घोषणा की। वह करीब 47 सालों तक सांसद रहे।
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वाजपेयी 1996 से 2004 के बीच तीन बार प्रधानमंत्री भी रहे। पहली बार 13 दिन के लिये, फिर 1998 और 1999 के बीच 13 महीनों के लिये और फिर 1999 से 2004 तक।
वाजपेयी का जन्म 1924 में हुआ था। एम्स में उनका इलाज पलमोलोजिस्ट एवं एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया की देखरेख में हो रहा था। डॉ. गुलेरिया पिछले तीन दशक से वाजपेयी के निजी चिकित्सक रहे हैं।
मधुमेह के शिकार 93 वर्षीय BJP नेता का एक ही गुर्दा काम कर रह था। 2009 में उन्हें स्ट्रोक आया था, जिसके बाद उनकी सोचने-समझने की क्षमता कमजोर हो गई थी। बाद में वह डिमेंशिया से भी पीड़ित हो गए। जैसे-जैसे उनकी सेहत गिरती गई, धीरे-धीरे उन्होंने खुद को सार्वजनिक जीवन से दूर कर लिया।
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वाजपेयी 3 बार प्रधानमंत्री रहे। वह पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही रह पाई। 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी
सरकार 13 महीनों तक चली थी। 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया।
वह 5 साल का पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं। वह बीते एक दशक से अपने खराब स्वास्थ्य की वजह से सक्रिय राजनीति से दूर थे।
Source : News Nation Bureau