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Budget सत्र से पहले सियासी तूफान, विपक्ष के तेवर से बढ़ी सत्ता पक्ष की बेचैनी

28 जनवरी को न्यूयॉर्क टाइम्स की में पेगासस जासूसी को लेकर एक रिपोर्ट छपी थी जिसमें कहा गया था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 2017 में सैन्य हार्डवेयर और खुफिया उपकरणों के लिए इजरायल के साथ 2 बिलियन डॉलर सौदे के तहत विवादास्पद पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदा था.

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Vijay Shankar
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parliament of india ( Photo Credit : File Photo)

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पेगासस जासूसी विवाद में ताजा खुलासे के बाद सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र पूरी तरह हंगामेदार होने के आसार है. इस सत्र में जहां विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार को जवाबदेह ठहराना चाहता है वहीं केंद्र ने भी इस हमले से निपटने की तैयारी कर रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने विपक्ष को घेरना शुरू कर दिया है. दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के भाषण से शुरू होने वाला सत्र केंद्रीय बजट और प्रमुख सरकारी कानूनों को मंजूरी देगा. 
31 जनवरी से 11 फरवरी तक के बजट सत्र की पहली छमाही में राष्ट्रपति के भाषण, बजट की प्रस्तुति और दोनों पर बहस के साथ एक व्यस्त कार्यक्रम है. 14 मार्च से 8 अप्रैल तक चलने वाली दूसरी छमाही में वित्त विधेयक, विनियोग विधेयक और विभिन्न मंत्रालयों के लिए अनुदान की मांग को मंजूरी दे दी जाएगी.

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28 जनवरी को न्यूयॉर्क टाइम्स की में पेगासस जासूसी को लेकर एक रिपोर्ट छपी थी जिसमें कहा गया था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 2017 में सैन्य हार्डवेयर और खुफिया उपकरणों के लिए इजरायल के साथ 2 बिलियन डॉलर सौदे के तहत विवादास्पद पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदा था. जिसके बाद से ही भारत में एक राजनीतिक तूफान शुरू हो गया है. केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह पहले ही रिपोर्ट की प्रामाणिकता को चुनौती दे चुके हैं.  उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, क्या आप NYT पर भरोसा कर सकते हैं ?? उन्हें सुपारी मीडिया के रूप में जाना जाता है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार पेगासस मुद्दे पर पूर्ण बहस को स्वीकार करने की संभावना नहीं है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एक समिति पहले से ही इस मामले को देख रही है. 27 अक्टूबर को एक आदेश के द्वारा, SC की बेंच ने अपने सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरवी रवींद्रन की देखरेख में कंप्यूटर विज्ञान, साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक के क्षेत्र में कुछ प्रसिद्ध विशेषज्ञों की सेवाओं को शामिल करते हुए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया.

पिछले साल भी हुआ था विवाद

पेगासस विवाद 18 जुलाई को मीडिया आउटलेट्स और खोजी पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय संघ द्वारा रिपोर्ट किए जाने के बाद शुरू हुआ था जिसमें भारतीय मंत्रियों, राजनेताओं, कार्यकर्ताओं, व्यापारियों और पत्रकारों के फोन टेप उन 50,000 लोगों में से थे जिसमें इजरायली फर्म एनएसओ की सैन्य-ग्रेड पेगासस स्पाइवेयर द्वारा किया गया था. पेगासस जासूसी विवाद पर मानसून सत्र में भी विपक्ष और सरकार के बीच गतिरोध बना रहा और हंगामे के कारण सही ढंग से संसद में काम नहीं हो पाया. इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बहस और जवाब मांगा था. उस दौरान सरकार ने दोनों सदनों में एक बयान दिया था और उन्हें आश्वासन दिया था कि भारत में अवैध जासूसी असंभव है.

HIGHLIGHTS

  • द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक साल 2017 में भारत ने इजरायल से की डिफेंस डील
  • संसद के बजट सत्र सोमवार, विपक्ष के तेवर से यह सत्र भी हंगामेदार के आसार
  • पेगासस जासूसी विवाद पर मानसून सत्र में भी विपक्ष और सरकार के बीच रहा गतिरोध

 

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