प्रतापगढ़ी की कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति पर सियासी बवाल

लोकप्रिय कवि इमरान प्रतापगढ़ी को कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग का नया प्रमुख बनाए जाने से न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं बल्कि मुस्लिम संगठनों में भी सवाल उठने लगे हैं. इसके पीछे कारण यह है कि प्रतापगढ़ी ने कभी कांग्रेस संगठन में काम नहीं किया है

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Ravindra Singh
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इमरान प्रतापगढ़ी( Photo Credit : आईएएनएस)

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लोकप्रिय कवि इमरान प्रतापगढ़ी को कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग का नया प्रमुख बनाए जाने से न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं बल्कि मुस्लिम संगठनों में भी सवाल उठने लगे हैं. इसके पीछे कारण यह है कि प्रतापगढ़ी ने कभी कांग्रेस संगठन में काम नहीं किया है और केवल प्रचारक रहे हैं. हालांकि उन्होंने 2019 में मुरादाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उनको हार मिली थी. इमरान प्रतापगढ़ी ने अपनी नियुक्ति के बाद ट्वीट किया, मैं नेतृत्व और अल्पसंख्यक विभाग द्वारा व्यक्त किए गए विश्वास पर खड़ा उतरने के लिए कड़ी मेहनत करने की कोशिश करूंगा. मैं लोगों के मुद्दों को सड़कों पर ले जाऊंगा.

उनकी नियुक्ति के बाद मुस्लिम संगठनों की ओर से तीखी आलोचना हो रही है. मजलिस ए मुहव्रत के अध्यक्ष नावेद हामिद ने कहा कि उनका किसी के खिलाफ कुछ भी व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है क्योंकि वह मुसलमानों सहित सभी समुदायों के बीच समझदार, परिपक्व राजनीतिक नेतृत्व विकसित करने में दृढ़ विश्वास रखते हैं. लेकिन एक ट्वीट में उन्होंने कहा , अल्पसंख्यक विभाग जिसने अतीत में जाफर शरीफ, अर्जुन सिंह, एआर अंतुले जैसे लोगों को देखा है, अब एक पेशेवर कवि को सौंप दिया गया है. क्या उपलब्धि है! कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को सलाह देने वाले लोग लगता है कि उन्हें पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के नए प्रमुख के रूप में किसी अन्य मुस्लिम की तुलना में अधिक लायक मानते हैं . उन्हें लगता है कि वह अपनी शायरी से मुसलमानों को मोहित कर सकते हैं.

कांग्रेस नेता खासकर पार्टी में मुस्लिम अल्पसंख्यक प्रमुख के रूप में प्रतापगढ़ी की नियुक्ति से हैरान हैं क्योंकि यह आरोप लगाया जा रहा है कि वह अतीत में आप और सपा के हमदर्द रहे हैं. एक पत्रकार शकील अख्तर बताते हैं, युवा नेताओं के लिए कई पद हैं लेकिन इस समय कांग्रेस को मुसलमानों के परिपक्व नेतृत्व की जरूरत है. किसी वरिष्ठ नेता को नियुक्त किया जाना चाहिए था क्योंकि इस विभाग का नेतृत्व अर्जुन सिंह जैसे दिग्गजों ने किया था.

लेकिन सूत्रों का कहना है कि इमरान यूपी से ताल्लुक रखते हैं और देश में लोकप्रिय हैं. ये फैसला अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और अल्पसंख्यक वोटबैंक में पैठ बनाने के लिए मददगार हो सकता हैं. लेकिन यूपी में कांग्रेस के नेता एकमत से स्वीकार करते हैं कि पार्टी की जमीनी स्तर पर केवल आंशिक उपस्थिति है और व्यंग्यात्मक रूप से कहते हैं कि वोट जोड़ने के लिए पार्टी के पास कोई बचत खाता नहीं है.

एक अन्य व्यक्ति जिसकी नियुक्ति ने भौंहें चढ़ा दी हैं, वह हैं इमरान मसूद जिन्हें दिल्ली का सचिव सह प्रभारी नियुक्त किया गया है. वह अपने बयानों की वजह से विवादास्पद रहे हैं. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कांग्रेस में अल्पसंख्यक नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है और दूसरे दलों से आने वाले लोगों को बड़े पद मिल रहे हैं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के वोटों में सेंध लगाने के लिए पार्टी को एक ब्राह्मण नेतृत्व की जरूरत है क्योंकि यूपी में तीस साल से अधिक समय में पार्टी का कोई मुख्यमंत्री नहीं रहा है और अंतिम मुख्यमंत्री एनडी तिवारी थे.

Source : News Nation Bureau

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