नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के सैटेलाइट डेटा से इस बात का खुलासा हुआ है कि इस साल 1 नवंबर से 13 नवंबर के बीच पंजाब और हरियाणा में 2012 के बाद से सबसे ज्यादा पराली जलाई गई है. आंकड़ों के अनुसार, दोनों राज्यों में 1 से 13 नवंबर तक 57,263 बार पराली जलाने की घटनाएं सामने आ चुकी है जो वर्ष 2016 में दर्ज की गई 52,719 घटनाओं से अधिक है. डेटा से यह भी पता चला है कि पराली जलाने का दौर एक अक्टूबर से शुरू किया गया था. इस दौरान इन दो कृषि राज्यों में एक साथ 75,225 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं जो कि वर्ष 2020 में दर्ज की गई घटनाओं से सिर्फ 440 कम है. वहीं दिल्ली में आज भी प्रदूषण का स्तर काफी खराब आंका गया है. यहां पीएम 2.5 का स्तर 400 के आस पास है.
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दोनों राज्यों में अधिकतम पराली जलाने की संख्या वर्ष 2016 में दर्ज की गई थी जब 94,173 ऐसी घटनाएं देखी गईं थी. इसी साल यानी वर्ष 2016 में दिल्ली में अपने सबसे खराब प्रदूषण काल में से एक दर्ज किया गया था. नासा मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर, पृथ्वी विज्ञान (USRA) के वरिष्ठ वैज्ञानिक पवन गुप्ता ने कहा कि हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि अगर आप इस साल पंजाब में दर्ज की गई पराली जलाने की कुल संख्या को देखें तो यह अभी भी 2020 की संख्या से थोड़ा कम है, लेकिन हरियाणा में इस साल 7,963 पराली जलाने की सूचना मिली है, जो कि वर्ष 2020, 2019 और 2018 में दर्ज की गई संख्या से अधिक है.
पंजाब सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में शनिवार को 3,742 खेत में पराली जलाने के मामले सामने आए हैं जिससे इस सीजन में राज्य में कुल घटनाओं की संख्या 62,863 हो गई, जो पिछले पांच वर्षों में दूसरी सबसे बड़ी घटना है.
HIGHLIGHTS
- 1 नवंबर से 13 नवंबर के बीच 2012 के बाद सबसे ज्यादा पराली जलाई
- NASA के सैटेलाइट डेटा से इस बात का हुआ खुलासा
- वर्ष 2016 में दर्ज की गई 52,719 घटनाओं से अधिक इस बार जलाई गई पराली