Poonchh Terror Attack: आतंकी हमले में एक बार फिर घाटी दलह उठी है. जम्मू-कश्मीर के पूंछ में हुए आतंकी हमले में सेना के पांच जवान शही हो गए हैं. घात लगाकर बैठे आतंकियों ने गुरुवार को सेना के जवानों से भरे वाहन पर गोलियों से हमला कर दिया. जवानों ने तुरंत वाहन को रोक दिया, लेकिन इतनी ही देर में आतंकियों ने कैलिब्रेटेड ग्रेनेड से वाहन पर हमला दिया. इससे ट्रक का फ्यूल टैंक चपेट में आ गया और तुरंत वाहन ने आग पकड़ ली.
इस हमले के बाद ट्रक धूं धूं कर जलने लगा. अचानक हुए इस हमले को जब तक जवान समझ पाते तब तक कई जवान आग की चपेट में आ चुके थे. इनमें से पहले चार और फिर एक जवान ने दम तोड़ दिया. दरअसल आतंकियों की ओर इस तरह का ये पहला हमला नहीं है. इससे पहले भी वे इस तरह के कई हमलों को अंजाम दे चुके हैं. खास बात यह है कि ये मॉड्यूल या तरीका पूर्वोत्तर पर बेस्ड है. आइए जानते हैं इससे जुड़ी जरूरी बातें.
पूर्वोत्तर की तर्ज पर घाटी को दहलाने की कोशिश
घाटी में इस तरह के हमले पहले नहीं हुए, लेकिन पूर्वोत्तर इलाकों में आतंक या अलगाववादी इस तरह के हमलों को अंजाम देते रहे हैं. यही नहीं नक्सलप्रभावित इलाकों जैसे छत्तीसगढ़ में भी इतरह की घटनाओं के अंजाम दिया गया है.
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J&K | Bomb Disposal Squad and Special Operations Group (SOG) of police at the spot at Bhimber Gali in Poonch where five soldiers lost their lives in a terror attack yesterday.
— ANI (@ANI) April 21, 2023
(Visuals deferred by unspecified time) pic.twitter.com/8GRcspjYQN
सेना का बड़ा एक्शन
पुंछ हमले के बाद सेना का बड़ा एक्शन जारी है. अधिकारियों ने इलाके को सील कर दिया है और जांच अभियान भी चल रहा है. आतंकियों का पता लगाने के लिए ड्रोन के साथ-साथ खोजी कुत्ते की भी मदद ली जा रही है. गाड़ियों की भी सघन तलाशियां ली जा रही हैं.
मौसम का बनाते हैं मौक
दरअसल इस तरह के हमले में मौसम को भी आतंकी अपना हथियार बनाते हैं. जम्मू-कश्मीर के पूंछ में हुए हमले में भी आतंकियों ने बारिश का सहारा लिया. बारिश की आड़ में जब रास्ता थोड़ा मुश्किल हो जाता है वाहन की चाल भी धीमी होती है तो आतंकियों को अपने काम को अंजाम देने में आसानी होती है. ऐसा काम धुंध और बर्फबारी के दौरान भी होता है.
दो साल में 5वां हमला
पूंछ में हुआ हमला पहला हमला नहीं है. घाटी में बीते दो वर्षों में ये पांचवां हमला था. इससे पहले 16 अक्टूबर 2021 को ही पुंछ के मेंढर में जवानों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इसमें पांच जवान शहीद हो गए थे. इससे पहले 12 अक्टूबर 2021 को पुंछ में ही चमरेड़ के जंगलों में ऐसा ही हमला हुआ इसमें भी चार जवान शहीद हुए. इसके बाद 2022 अगस्त 11 को राजौरी में एक मुठभेड़ हुई. इसमें आतंकियों ने सेना के पांच जवानों के शहीद कर दिया. नवंबर 2022 में भी भाट धुलियान इलाके में ही आतंकियों ने सेना के गश्त पर हमला किया. हालांकि इसमें कोई हताहथ नहीं हुआ. 16 दिसंबर 2022 को आर्मी बेस अल्फा गेट पर आतंकियों ने बम से हमला किया और इसमें दो नागरिकों की मौत हो गई थी.
HIGHLIGHTS
- जम्मू-कश्मीर में पहला नहीं है पुंछ में हुआ हमला
- दो वर्ष में पांच हमलों को अंजाम दे चुके आतंकी
- पूर्वोत्तर इलाकों में होते रहे हैं इस तरह के हमले