चीन की हरकतों को देखते हुए भारत ने अरुणाचल सेक्टर में तिब्बत के साथ सटी सीमा पर सेना की गश्त और सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है। डोकलाम में हुए गितिरोध के बाद भारत चीन को लेकर किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाह रहा है।
कई दशक बाद भारत और चीन के बीच सबसे बड़ा गतिरोध 2017 में डोकलाम में हुआ था।
सैन्य अधिकारियों का कहना है कि भारत ने लोहित घाटी, दाऊ-डेलाई और दिबांग के पहाड़ी इलाके में अपनी गश्त बढ़ा दी है। साथ ही कहा कि चीनी गतिविधियों को देखते हुए सेना ने निगरानी को मजबूत कर रही है ताकि चीन पर नज़र रखी जा सके।
चीन संवेदनशील तिब्बत-भारत सीमा पर कई बार हेलिक़प्टर से निगरानी करता है और ऐसे में भारत चान की इन गतिविधियों को लेकर सतर्कता बरत रहा है।
लोहित घाटी, दाऊ-डेलाई और दिबांग के पहाड़ी इलाके में चीन की बढ़ते हठ और दावों के मद्देनज़र भारत इन इलाकों में अपनी स्थिति मज़बूत कर रहा है। जिसके तहत यहां के पहाड़ों, नदियों के पास और 17,000 फुट की उचाई पर बर्फीले पहाड़ों पर अपनी पकड़ पहले से कही अधिक मज़बूत कर रहा है।
किबितू में तैनात एक सैन्य अदिकारी ने कहा कि डोकलाम के बाद हमने अपनी गतिविधियां कई गुणा बढ़ा दी हैं। हम किसी भी तरह की चुनौती का सामना करने के लिये तैयार हैं। किबितू भारत चीन सीमा पर स्थिति देश का सबसे पूर्वी इलाके का गांव है।
अधिकारी ने बताया कि हमने लॉन्ग रेंज पेट्रोल को मजबूत किया है जिसके तहत सैनिकों की छोटी टुकड़ियों को गश्त के लिये भेजा जाता है। ताकि लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की रक्षा की जा सके।
सिक्किम सेक्टर में स्थित डोकलाम में भारती और चीन की सेनाएं 73 दिनों तक आमने-सामने थीं। इस इलाके में चान सड़क बना रहा था जिसे भारतीय सेना ने बनाने से रोक दिया था।
सेना के अधिकारी ने बताया कि हमने रणनीतिक तौर पर संवेनशील इलाकों में सैनिकों की संख्या भी बढ़ा दी हैष जिसमें भारत-चीन-म्यांमार का ट्राई-जंक्शन भी शामिल है।
अधिकारी ने बताया कि सीमा से सटे इलाके में चीन बुनियादी सुविधाओं को मजबूत कर रहा है, खास कर तिब्बती क्षेत्र में। ऐसे में भारत के लिये भी ये जरूरी हो जाताहै कि वो भी अपनी सैन्य शक्ति और बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क आदि के निर्माण को बढ़ाए। ताकि सेना की आवाजाही बेहतर और तेज हो सके।
और पढ़ें: अरुणाचल में एक बार फिर चीन की घुसपैठ, पीपल्स लिबरेशन आर्मी कैंप की तस्वीरें सामने आई
इस समय सेना किबितू में मिलिटरी सप्लाई के लिये फूट सस्पेंसन बि्ज का इस्तेमेल करती है। एक सड़क जो लोहित के पूर्वी हिस्से को जोड़ती है वो भूस्खलन के कारण साल के ज्यादातर दिन बंद रहती है।
हालाकि भारत इस इलाके में संपर्क और आवाजाही की सुविधा को बेहतर करने के लिये दिबांग और लोहित घाटी के बीच एक सड़क निर्माण जल्द करने जा रहा है।
चीन भारत के साथ सटी पूरे 4000 किलोमीटर की सीमा पर सड़क नेटवर्क बढ़ा रहा है। हाल ही में भारत की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा था कि चीन डोकलाम में हेलीपैड, सैनिक पोस्ट और बंकर आदि का निर्माण कर रहा है।
जनवरी में ही सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा था कि भारत को पाकिस्तान की सीमा से अपना फोकस हटा कर चीन की सीमा पर करना चाहिये।
और पढ़ें: राजा भैया से अखिलेश की बढ़ रही है दूरी, कहा- लगता नहीं वो हमारे साथ है
Source : News Nation Bureau