देश में पहली बार कोरोना वायरस संक्रमित (Corona virus infection) शव का पोस्टमार्टम किया गया है. इससे यह जानने की कोशिश की जाएगी आखिर इस वायरस ने कैसे 50 हजार से अधिक लोगों की जान ले ली. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इससे पहले किसी भी कोरोना संक्रमित के शव का पोस्टमार्टम नहीं किया गया. यहां तक कि परिजनों को भी डेडबॉडी नहीं दी जाती. इस रिसर्च से पता चल सकेगा कि संक्रमित होने के बाद शरीर के दिल, दिमाग, फेफडों सहित दूसरे अंगों पर वायरस कितना असर करता है-शरीर के किन अंगों पर इसका कितना प्रभाव पड़ता है.
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एम्स के डॉक्टरों ने किया पोस्टमार्टम
इस पोस्टमार्टम के लिए भोपाल एम्स (Bhopal AIIMS) में डॉक्टरों की विशेष टीम तैयार की गई. ये डॉक्टर इस डेडबॉडी के पोस्टमार्टम से रिसर्च करने का एक नया तरीका निकालेंगे. इस पोस्टमार्टम से विशेषज्ञ कोरोना वायरस के असर से शरीर के अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव की भी पड़ताल की जाएगी. आईसीएमआर की मंजूरी के बाद एम्स भोपाल में 58 वर्षीय एक मरीज की मौत के बाद डॉक्टरों ने परिजनों से इस रिसर्च के लिए पोस्टमार्टम की अनुमति मांगी. मृतक के परिजनों की सहमति मिलने के बाद बीते रविवार को पोस्टमार्टम किया गया. कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद रिसर्च के लिए पोस्टमार्टम का देश में ये पहला मामला है.
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पहले मना किया, फिर दी इजाजत
डेडबॉडी से रिसर्च करने के लिए आईसीएमआर से भोपाल एम्स ने अनुमति मांगी थी. पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टरों के संक्रमित होने की आशंका के कारण पहले तो आईसीएमआर ने मामले पर असहमति जताते हुए रिसर्च के अनुमति देने से मना कर दिया, लेकिन एम्स ने अपने एडवांस डाइसेक्शन रूम और इंफेक्शन रोकने के लिए किए गए प्रबंधों की जानकारी विस्तृत रूप से भेजी तो आईसीएमआर ने रिसर्च करने की अनुमति दे दी.
Source : News Nation Bureau