रायन इंटरनेशनल स्कूल में हुई दूसरी कक्षा के छात्र प्रद्युम्न की हत्या के मामले में गुरुग्राम जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग़ की जमानत याचिका खारिज कर दी है। साथ ही नाबालिग बच्चे की मानसिक प्रवत्ति को लेकर साइकोलॉजिकल और सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट बंद लिफाफे में बोर्ड के सामने पेश की गई।
इस रिपोर्ट में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए है। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कई ऐसी बातें लिखी गई हैं जो इशारा कर रही हैं कि यह जुवेनाइल सामान्य नाबालिग नहीं है।
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने JJB एक्ट के सेक्शन 15 के तहत एक सोशल कमेटी बनाई थी और रोहतक PG मेडिकल कॉलेज के एक क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट को रिपोर्ट तैयार करने के लिए नियुक्त किया था।
यह रिपोर्ट बंद लिफाफे में बोर्ड में पेश की गई थी। रिपोर्ट्स को दोनों पक्षों को स्टडी के लिए दे दिया गया है।
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सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में लिखा गया है कि बच्चा हाइपर अग्रेसिव (अति गुस्सैल) है। बच्चा घर में मां-बाप के बीच होने वाले झगड़ों से परेशान रहता है। साथ ही एक बार शराब के नशे में भी पाया गया था और सबसे खतरनाक बात यह थी कि वह रायन इंटरनेशनल स्कूल के वाटर टैंक में एक बार ज़हर मिलाने की योजना भी बना चुका था।
इन्हीं बिन्दुओं पर बोर्ड के अंदर 2 घंटे से ज्यादा बहस हुई। प्रद्युम्न के वकील के मुताबिक रिपोर्ट में ऐसे साफ संकेत हैं जिनके आधार पर आरोपी पर बालिग की तरह केस चलाया जा सकता है।
इस मामले में लंबी बहस के बाद जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने फैसला 20 दिसंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।
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Source : News Nation Bureau