केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार (Punjab Government) की वैक्सीनेशन पॉलिसी पर सवाल उठाते हुए हमला बोला है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने को-वैक्सीन को बेचने का आरोप लगाया है. जावड़ेकर ने कहा कि पंजाब सरकार निजी अस्पतालों (Private Hospitals) को ऊंची कीमतों (High Prices) पर कोवैक्सीन (Covaxin) बेच रही है. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Congress MP Rahul Gandhi) पर हमला बोलते हुए कहा कि, राहुल गांधी को दूसरों को ज्ञान देने की बजाय पहले अपने (कांग्रेस) राज्य की देखभाल करनी चाहिए. पंजाब सरकार को कोवैक्सीन की 1.40 लाख से ज्यादा डोज 400 रुपये में उपलब्ध कराई गई और उन्होंने इसे 20 निजी अस्पतालों को 1000 रुपये में बेच दी है.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'पंजाब कोरोना महामारी से प्रभावित राज्य है, वहां पर वैक्सीन का मैनेजमेंट सही तरीके से नहीं हो रहा है. जावड़ेकर ने कहा कि पंजाब सरकार पिछले 6 महीने से अंतर्कलह में हैं और आपस में ही एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि आपसी झगड़े के निपटारे के लिए पिछले 3-4 दिनों से पूरी पंजाब सरकार और पार्टी दिल्ली में डेरा डाले हुए है. उन्होंने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि पंजाब को कौन देखेगा? अपनी अंदरूनी राजनीति के लिए पंजाब के लोगों की अनदेखी करना कांग्रेस का बड़ा पाप है.
जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि केंद्र सरकार ने मौजूदा समय 22 करोड़ वैक्सीन राज्यों को मुफ्त में मुहैया करवाई हैं. उन्होंने (पंजाब सरकार) टीकाकरण के विकेंद्रीकरण की मांग की थी, मगर अब इसे केंद्रीकृत करने को कह रहे हैं. अब पंजाब द्वारा कथित तौर पर निजी अस्पतालों को टीके बेचने पर राहुल गांधी केंद्रीय नेताओं के निशाने पर आ गए हैं. आपको बता दें कि कोरोना काल में राहुल गांधी लगातार लोगों को मुफ्त में वैक्सीन देने की वकालत करते रहे हैं. उन्होंने हाल ही में कहा कि देश में सभी नागरिकों का टीकाकरण मुफ्त में किया जाना चाहिए.
सर्वोच्च न्यायालय ने भी उठाए कड़े सवाल
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने टीकाकरण से जुड़ी नीतियों पर कड़े सवाल उठाए हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से आगामी दो सप्ताह में हलपनामा दाखिल करने को कहा है. और इस महीने के आखिरी सप्ताह में इस मामले पर सुनवाई के लिए कहा है. के लिए एक दर्जन से अधिक राज्यों द्वारा जारी किए ग्लोबल टेंडर्स को अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है और उन्हें देश में अब तक उत्पादित टीकों के कुल कोटे का केवल 25फीसदी ही मिल रहा है. भारी मांग को देखते हुए यह अपर्याप्त साबित हो रहा है.
Source : News Nation Bureau