Pranab Mukherjee Dies : देश के 13वें राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी का सोमवार को दिल्ली के सैन्य अस्पताल में निधन हो गया. यह जानकारी उनके पुत्र अभिजीत ने दी. मुखर्जी 84 वर्ष के थे. मुखर्जी को गत 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और आज सुबह जारी एक स्वास्थ्य बुलेटिन में कहा गया कि वह गहरे कोमा में हैं और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया है.
प्रणब दा का जन्म 11 दिसंबर, 1935 को पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के मिरीती गांव में हुआ था. उम्मीद जताई जा रही है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अंतिम संस्कार मंगलवार को दिल्ली में ही किया जा सकता है. हालांकि, उनके अंतिम संस्कार को लेकर अभी तक किसी तरह की कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है. आइए जानते हैं कैसा रहा प्रणब मुखर्जी का पूरा जीवन.
प्रारंभिक जीवन
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसम्बर 1935 में पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मिरती नामक स्थान पर एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रीय रहे और सन 1952 से 1964 तक पश्चिम बंगाल विधान परिषद् के सदस्य रहे. वे आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी थे. प्रणब की मां का नाम राजलक्ष्मी था. उन्होंने बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज (कोलकाता विश्वविद्यालय से सबद्ध) में पढ़ाई की और बाद में राजनीति शाष्त्र और इतिहास विषय में एम.ए. किया. उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री भी हासिल की.
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इसके उपरान्त उन्होंने डिप्टी अकाउंटेंट जनरल (पोस्ट और टेलीग्राफ) के कोलकाता कार्यालय में प्रवर लिपिक की नौकरी की. सन 1963 में उन्होंने दक्षिण 24 परगना जिले के विद्यानगर कॉलेज में राजनीति शाष्त्र पढ़ाना प्रारंभ कर दिया और ‘देशेर डाक’ नामक पत्र के साथ जुड़कर पत्रकार भी बन गए.
राजनीतिक जीवन
प्रणब मुखर्जी का राजनितिक करियर सन 1969 में प्रारंभ हुआ जब उन्होंने वी.के. कृष्ण मेनन के चुनाव प्रचार (मिदनापुर लोकसभा सीट के लिए उप-चुनाव) का सफल प्रबंधन किया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके प्रतिभा को पहचाना और उन्हें भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में शामिल कर जुलाई 1969 में राज्य सभा का सदस्य बना दिया. इसके बाद मुखर्जी सन कई बार (1975, 1981, 1993 और 1999) राज्य सभा के लिए चुने गए.
धीरे-धीरे प्रणब मुखर्जी इंदिरा गांधी के चहेते बन गए और सन 1973 में केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल कर लिए गए. सन 1975-77 के आपातकाल के दौरान उनपर गैर-संविधानिक तरीकों का उपयोग करने के आरोप लगे और जनता पार्टी द्वारा गठित ‘शाह आयोग’ ने उन्हें दोषी भी पाया. बाद में प्रणब इन सब आरोपों से पाक-साफ़ निकल आये और सन 1982-84 में देश के वित्त मंत्री रहे. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सरकार की वित्तीय दशा दुरुस्त करने में कुछ सफलता पायी. उन्ही के कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह को रिज़र्व बैंक का गवर्नर बनाया गया.
सन 1980 में वे राज्य सभा में कांग्रेस पार्टी के नेता बनाये गए. इस दौरान मुखर्जी को सबसे शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री माना जाने लगा और प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में वे ही कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करते थे.
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इंदिरा गांधी के हत्या के बाद प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था पर राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनते ही प्रणब को हासिये पर कर दिया गया. ऐसा माना जाता है की वे राजीव गांधी की समर्थक मण्डली के षड्यन्त्र का शिकार हुए जिसके बाद उन्हें मन्त्रिमणडल में भी शामिल नहीं किया गया.
इसके पश्चात उन्होंने कांग्रेस छोड़ अपने राजनीतिक दल ‘राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस’ का गठन किया पर सन 1989 में उन्होंने अपने दल का विलय कांग्रेस पार्टी में कर दिया. पी.वी. नरसिंह राव सरकार में उनका राजनीतिक कैरियर पुनर्जीवित हो उठा, जब उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया और सन 1995 में विदेश मन्त्री के तौर पर नियुक्त किया गया. उन्होंने नरसिंह राव मंत्रिमंडल में 1995 से 1996 तक पहली बार विदेश मन्त्री के रूप में कार्य किया. सन 1997 में प्रणब को उत्कृष्ट सांसद चुना गया.
प्रणब मुखर्जी को गांधी परिवार का वफादार माना जाता है और सोनिया गांधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. सन 1998-99 में जब सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं तब उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया.
सन 2004 में प्रणब ने पहली बार लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा और पश्चिम बंगाल के जंगीपुर संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की. वे लोक सभा में पार्टी के नेता चुने गए और ऐसा माना जा रहा था कि सोनिया गांधी के इनकार के बाद उन्हें ही प्रधानमंत्री बनाया जायेगा पर अटकलों के बीच मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री चुना गया. सन 2004 से लेकर 2012 में राष्ट्रपति बनने तक प्रणब मुखर्जी यू.पी.ए. गठबंधन सरकार में कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आये. इस दौरान वे देश के रक्षा, वित्त और विदेश मंत्री रहे. इसी दौरान मुखर्जी कांग्रेस संसदीय दल और कांग्रेस विधान दल के मुखिया भी रहे.
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निजी जीवन
प्रणव मुखर्जी का विवाह 22 वर्ष की आयु में 13 जुलाई 1957 को शुभ्रा मुखर्जी के साथ हुआ था. उनके दो बेटे और एक बेटी – कुल तीन बच्चे हैं. उनकी पत्नी शुभ्रा मुखर्जी का निधन 18 अगस्त 2015 को बीमारी के कारण हुआ.
प्रणब मुखर्जी ने कई किताबें भी लिखी हैं जिनके प्रमुख हैं मिडटर्म पोल, बियोंड सरवाइवल, ऑफ द ट्रैक- सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस, इमर्जिंग डाइमेंशन्स ऑफ इंडियन इकोनॉमी, तथा चैलेंज बिफोर द नेशन.
वे हर वर्ष दुर्गा पूजा का त्योहार अपने पैतृक गांव मिरती (पश्चिम बंगाल) में ही मनाते हैं. उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान और पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं. भारत सरकार ने भी उन्हें पद्म विभूषण (देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान) से सम्मानित किया है. बूल्वरहैम्पटन और असम विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया है.
Source : News Nation Bureau