राज्यसभा सांसद और पंजाब में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिह को तानाशाह करार दिया है और उनके काम करने के तरीकों पर निशाना साधा है. बाजवा ने मुख्यमंत्री पर स्मगलर और मादक पदार्थ की तस्करी करने वालों को बचाने का आरोप लगाया है. दरअसल यह मतभेद हाल ही में जहरीली शराब पीकर 121 लोगों की मौत के बाद उभरे हैं. राज्यसभा सांसद ने कहा कि कैप्टन कुछ बाबुओं के सहारे सरकार चला रहे हैं.
यहां प्रताप सिंह बाजवा के साथ साक्षात्कार के कुछ अंश पेश हैं.
प्रश्न : आपके और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच झगड़े का क्या कारण है?
उत्तर : मेरे और कैप्टन के बीच कोई निजी दुश्मनी नहीं है. यह मैं था, जिसने चुनाव से पहले पीसीसी अध्यक्ष के रूप में काम किया. बीते 3 वर्षो में यह मेरा ही कठिन परिश्रम था, जिसके अच्छे नतीजे रहे. इसलिए कोई निजी एजेंडा नहीं है.
समस्या यह है कि चुनाव के दौरान वादे किए गए , लेकिन यह वादे पूरे नहीं किए गए और हम मूक दर्शक बने नहीं रह सकते.
अमरिंदर ने कहा था कि उन्हें चुनाव के दौरान 4 हफ्तों का समय चाहिए. उन्होंने कहा था, "मैं सबकुछ ठीक कर दूंगा और उन पांच माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करूंगा. लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की गई और मैं उनसभी का नाम ले सकता हूं, लेकिन सभी इन माफियाओं का नाम जानते हैं."
प्रश्न : और अन्य मुद्दे जो विवाद के केंद्र में हैं?
उत्तर : मुख्यमंत्री के साथ मतभेद के अन्य मुद्दे गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर है, क्योंकि इससे पहले की अकाली सरकार राजनीतिक स्वार्थ के लिए डेरा सच्चा सौदा के साथ हाथ मिला रही थी और गलत कार्यो में फंस गई और बड़े पैमाने पर आंदोलन हुए, जिसमें दो युवा मारे भी गए.
अमरिंदर सिंह ने मामले को देखने का वादा किया था और जिन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की थी, उन्हें कटघरे में लाने का भी वादा किया था. उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों युवाओं को न्याय दिलाया जाएगा. लेकिन वह भी नहीं हुआ.
प्रश्न : क्या आप यह संकेत दे रहे हैं कि सरकार स्मगलिंग और मादक पदार्थो की तस्करी में शामिल लोगों के साथ बराबर की भागीदार है?
उत्तर : यह वही है जो मैंने उन्हें कहा था, निश्चित तौर पर अगर आप उन्हें समाप्त नहीं करेंगे तो यह क्या दिखाता है?
मुख्यमंत्री खुद आबकारी मंत्री और गृहमंत्री हैं, और बीते तीन साल में जहरीली शराब की वजह से पंजाब को करीब 2700 करोड़ रुपये की हानि हुई है और आबकारी विभाग उस लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं.
यह पहली बार है कि इस बाबत लक्ष्य पूरा नहीं होगा और इससे खजाने में हानि होगी, जहां पहले से ही त्रासदी हुई है और इसमें 121 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.
प्रश्न : इससे पहले क्या प्रक्रिया थी?
उत्तर : पहले बोली लगती थी. पहले से ही एक निश्चित लक्ष्य था-यह वह पैसा था, जिसे आप शराब से हासिल कर सकते थे. यह पहली बार है जब लक्ष्य पूरा नहीं होगा और राज्य पहले ही 2700 करोड़ रुपये की हानि झेल रहा है और राज्य में अगस्त के पहले सप्ताह में जहरीली शराब पीने से तीन जिलों में 121 लोगों की मौत हो गई. पूरी चीजें किसी आबकारी माफिया की ओर इशारा करती हैं.
प्रश्न : लेकिन पार्टी ने कहा है कि आपको पार्टी के अंदर मामला उठाना चाहिए. आप सीधे राज्यपाल के पास क्यों गए?
उत्तर : हम मामला उठाते रहे हैं. इसे कई बार उठाया गया है.
यहां तक की दो महीने पहले, कैप्टन ने पंजाब के सभी विधायकों की बैठक बुलाई. मेरे सहयोगी व विधायक शमशेर सिंह डुल्लो और मैंने यह मामला उठाया. और भी कुछ विधायक थे, जिन्होंने हमारा इस मुद्दे पर समर्थन किया और उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि सरकार इस तरह के तत्वों को समर्थन देती है.
वे कहते हैं, "आप उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते"
प्रश्न : फिर क्या हुआ?
उत्तर : जब मीडिया पंजाब के मुख्यमंत्री से हमारे पत्रों के बारे में पूछती है तो वह कहते हैं कि 'मुझे ये पत्र नहीं मिले हैं और अगर मुझे यह मिलता भी है तो इसका जवाब देना जरूरी नहीं है. यह मेरा कोई निजी काम नहीं है.' वह मीडिया को कहते हैं, 'हम एक एजेंडा सेट करने के बारे में बात करते हैं.'
हम राज्यपाल के पास क्यों गए? क्योंकि जांच के आदेश जालंधर कमिश्नर को दिए गए हैं और कैसे जालंधर के कमिश्नर उन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दे सकते हैं जो शक्तिशाली हैं और उसका क्या हो जो मुख्यमंत्री के कार्यालय में मौजूद हैं.
हम माननीय राज्यपाल के पास सीबीआई जांच या ईडी की जांच के लिए गए थे, क्योंकि ये सर्वोच्च संस्थाएं हैं और दोषी को पकड़ा जा सकता है.
प्रश्न : तो फिर आप क्या सोचते हैं कि पार्टी आपके और मुख्यमंत्री के बीच निर्णय लेगी?
उत्तर : यह बात सही नहीं है, क्योंकि मैंने कभी नहीं कहा कि मैं मुख्यमंत्री पद का दावेदार हूं.
मुद्दा यह है कि काफी सारा समय बीत गया, जनादेश का सम्मान नहीं किया गया और पंजाब के लोग यह सोचते हैं कि हमने जनादेश का अपमान किया है.
कैप्टन वादे के ठीक विपरीत काम कर रहे हैं.
लेकिन आप अगर पार्टी को बचाना चाहते हैं तो, कांग्रेस को अमरिंदर सिंह और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष को हटाने का निर्णय लेना होगा. बदलाव के लिए ऐसे व्यक्ति को लाना होगा, जो कांग्रेसमैन है. पहले वरिष्ठता दूसरा इमानदारी और तीसरा क्षमता पर विचार करना होगा.
प्रश्न : क्या आपको लगता है कि अमरिंदर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नहीं सुन रहे हैं?
उत्तर : यह पसंद गलत थी, क्योंकि 1984 से 1998 के बीच अमरिंदर अकाली दल के साथ थे और इसलिए वह पार्टी की विचारधारा से जुड़े नहीं हैं और कांग्रेस कार्यकर्ता पूरी तरह से निराशा महसूस कर रहे हैं.
ऐसा लगता है कि पंजाब में राज्यपाल का शासन है. ऐसा लगता ही नहीं है कि राज्य में लोकप्रिय कांग्रेस शासन है.
प्रश्न : क्या आपको लगता है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कमजोर है, जो मुख्यमंत्री को और इस तरह के विभेदों पर काबू नहीं कर पा रहा है.
उत्तर : मैं इसपर कुछ नहीं कहना चाहता हूं और हम राज्य में इस संकट पर काफी चिंतित हैं.
प्रश्न : क्या वह तानाशाही स्टाइल में काम कर रहे हैं?
उत्तर : उन्हें पटियाला के महाराज की तरह व्यवहार करना बंद करना चाहिए और अगर वह लोकतांत्रिक मुख्यमंत्री की तरह कार्य का संचालन नहीं करते हैं तो फिर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए.
वह पांच महीने बाद अपने फार्महाउस से बाहर आए, जब हमने जहरीली शराब के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया. अगर कोई मुख्यमंत्री अपने घर से पांच महीने बाद बाहर आएगा तो उस राज्य की हालत क्या होगी.
Source : IANS