राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्ना और कर्नाटक हाई कोर्ट के प्रमुख न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया है. इन दो नियुक्तियों से शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 28 हो गयी है. अब भी न्यायालय में तीन रिक्तियां हैं. भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने 10 जनवरी को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को शीर्ष अदालत भेजने की सिफारिश की थी.
मंगलवार को हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कैलाश गंभीर ने जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट जज बनाये जाने के खिलाफ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा था. राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कैलाश गंभीर ने दोनों जजों को सुप्रीम कोर्ट भेजने की सिफारिश में करीब न्यायाधीशों की अनदेखी किये जाने के बारे में लिखा था.
इसमें कहा गया है कि जिस तरह से न्यायमूर्ति एच आर खन्ना की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर अन्य न्यायाधीश को प्रधान न्यायाधीश बनाए जाने को भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ‘काला दिन’ बताया जाता है उसी तरह 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करके न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को न्यायाधीश बनाया जाना एक और काला दिन होगा. पत्र में कहा गया है कि यह भयावह है कि 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करने का हिलाकर रख देने वाला एक फैसला ले लिया गया.
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नजरअंदाज किए गए उन न्यायाधीशों में कई मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं और यह फैसला उनके ज्ञान, मेधा और सत्यनिष्ठा पर प्रहार करता है. न्यायमूर्ति गंभीर ने यह भी लिखा है कि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना दिवंगत न्यायमूर्ति डी आर खन्ना के बेटे हैं और कानूनी जगत के एक बहुत ही सम्मानित व्यक्ति, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एच आर खन्ना के भतीजे हैं.
Source : News Nation Bureau