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Ayodhya:रामायण कॅान्कलेव में बोले राष्ट्रपति, राम के बिना अयोध्या नहीं.. जहां राम वहीं अयोध्या

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) इन दिनों रामनगरी अयोध्या के दौरे पर हैं.

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Sunder Singh
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President Ramnath Kovind( Photo Credit : News Nation)

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भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) इन दिनों रामनगरी अयोध्या के दौरे पर हैं. आज उन्होने रामायण कॅान्कलेव का उद्घाटन किया. इसके बाद उन्होने अपने संबोधन में कहा कि रामायण ऐसा विलक्षण ग्रंथ है. जो रामकथा के माध्यम से विश्व समुदाय के समक्ष मानव जीवन के उच्च आदर्शों और मर्यादाओं को प्रस्तुत करता है. साथ ही उन्होने कहा कि राम के बिना अयोध्या ही नहीं है. अयोध्या तो वहीं हैं जहां प्रभु राम विराजमान हैं. इस दौरान उन्होने उत्तर प्रदेश सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि यूपी की सरकार का यह प्रयास भारत व भारतीयता के लिए महत्वपूर्ण होगा. ऐसा मेरा मानना है. इस दौरान राष्ट्रपति ने अयोध्या का अर्थ बताते हुए कहा कि जिसके साथ युद्द करना असंभव हो वही अयोध्या है.

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आचार संहिता सिखाती है सच्चाई का मार्ग 
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि रामायण में उपलब्ध आचार संहिता मानव जीवन के लिए संजीवनी है. प्रत्येक पक्ष में आचार संहिता हमारा मार्गदर्शन करती है. संतान का माता-पिता के साथ, भाई का भाई के साथ, पति का पत्नी के साथ, गुरु का शिष्य के साथ, मित्र का मित्र के साथ, शासक का जनता के साथ और मानव का प्रकृति व पशु-पक्षियों के साथ कैसा आचरण होना चाहिए, इन सभी आयामों पर, रामायण में उपलब्ध आचार संहिता, हमें सही मार्ग पर ले जाती है. रामचरितमानस में एक आदर्श व्यक्ति व्यक्ति और एक आदर्श समाज दोनों का वर्णन मिलता है. 

कॅांक्लेव की खास बातें 
रामनाथ कोविंद ने कहा कि विश्व के अनेक देशों में रामकथा की प्रस्तुति की जाती है. इन्डोनेशिया के बाली द्वीप की रामलीला विशेष रूप से प्रसिद्ध है. मालदीव, मॉरिशस, त्रिनिदाद व टोबेगो, नेपाल, कंबोडिया और सूरीनाम सहित अनेक देशों में प्रवासी भारतीयों ने रामकथा व रामलीला को जीवंत बनाए रखा है. उन्होने कहा कि रामकथा की लोकप्रियता भारत में ही नहीं बल्कि विश्वव्यापी है. उत्तर भारत में गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित-मानस, भारत के पूर्वी हिस्से में कृत्तिवास रामायण, दक्षिण में कंबन रामायण जैसे रामकथा के अनेक पठनीय रूप प्रचलित हैं. मैं तो समझता हूं कि मेरे परिवार में जब मेरे माता-पिता और बुजुर्गों ने मेरा नाम-करण किया होगा तब उन सब में भी संभवतः रामकथा और प्रभु राम के प्रति वही श्रद्धा और अनुराग का भाव रहा होगा जो सामान्य लोकमानस में देखा जाता है. गांधीजी ने आदर्श भारत की अपनी परिकल्पना को रामराज्य का नाम दिया है. बापू की जीवन-चर्या में राम-नाम का बहुत महत्व था.

HIGHLIGHTS

  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इन दिनो अयोध्या दौरे पर हैं 
  • रामनाथ कोविंद ने किया रामायण कॅान्कलेव का उद्घाटन
  •  राष्ट्रपति ने बताया अयोध्या का शाब्दिक अर्थ
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