शिक्षकों की योग्यता और मान मर्यादा का ध्यान रखना नई शिक्षा नीति के लिए जरूरी- राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नई शिक्षा नीति पर राज्यपालों से बात कर रहे हैं.

author-image
Aditi Sharma
एडिट
New Update
modi  17

पीएम नरेंद्र मोदी( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नई शिक्षा नीति पर राज्यपालों से बात कर रहे हैं. इस सम्मेलन में शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल भी शामिल हैं. इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, देश की Aspirations को पूरा करने का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है. शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र , राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं. लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए. शिक्षा नीति से जितना शिक्षक, अभिभावक जुड़े होंगे, छात्र जुड़े होंगे, उतना ही उसकी प्रासंगिकता और व्यापकता, दोनों ही बढ़ती है. देश के लाखों लोगों ने, शहर में रहने वाले, गांव में रहने वाले, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने, इसके लिए अपना फीडबैक दिया था, अपने सुझाव दिए थे.

पीएम मोदी ने कहा, गांव में कोई शिक्षक हो या फिर बड़े-बड़े शिक्षाविद, सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अपनी शिक्षा शिक्षा नीति लग रही है.  सभी के मन में एक भावना है कि पहले की शिक्षा नीति में यही सुधार मैं होते हुए देखना चाहता था.  राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्वीकारता की बड़ी वजह यही है.

पीएम मोदी ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति सिर्फ पढ़ाई के तौर तरीकों में बदलाव के लिए ही नहीं है.  ये 21वीं सदी के भारत के सामाजिक और आर्थिक पक्ष को नई दिशा देने वाली है. ये आत्मनिर्भर भारत के संकल्प और सामर्थ्य को आकार देने वाली है. पीएम ने कहा, लंबे समय से बच्चे के बैग और बोर्ड एग्जाम के बोझ को कम करने की मांग उठ रही थी. ऐसे में अब इस समस्या को कम किया गया है . अब कोई भी छात्र किसी भी स्ट्रीम को कभी भी ले सकता है औऱ छोड़ सकता है.

पीएम मोदी ने कहा, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए छात्रों के अंदर कौशल विकास बहुत जरूरी है, लोफर ज्ञानी वैश्विक बाजार में भी भारत गैस के दाम में बढ़ोतरी होगी। प्राचीन काल से भारत ज्ञान का केंद्र रहा है उसके त्रिवेदी ने उसे दोहराने की जरूरत है.  राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हम स्वदेश में ही विश्वस्तरीय शिक्षा के जनपद बनाने की कोशिश करेंगे। ऑनलाइन एजुकेशन के भी कई फायदे हैं इससे स्थानीय और वैश्विक सीमाएं समाप्त हो जाती है. नई व्यवस्था बनाने में कई तरह की आशंकाएं है.

पीएम ने आगे कहा, अभिभावकों के मन में इस तरह के सवाल होंगे कि अगर मौजूदा स्ट्रीम खत्म हो जाएगी तो आगे कॉलेज कैसे मिलेगा ? नौकरी कैसे मिलेगी ? स्थानीय भाषा में पाठ्यक्रम कैसे तैयार होगा ? इन सभी सवालों के जवाब तलाशने के लिए शिक्षा मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है, सभी सुझाव को खुले मन से सुना जा रहा है.

पीएम मोदी ने आगे कहा, मौजूदा शिक्षा नीति सरकार की शिक्षा नीति नहीं है ,देश की शिक्षा नीति है. ठीक उसी तरह से जैसे विदेश नीति सरकार के नहीं, बल्कि देश की होती . पीएम मोदी ने आगे कहा, तेजी से बदलती तकनीक, भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए नई शिक्षा नीति बनाई गई है. तकनीकी, सूचना और ज्ञान को देखता अर्जित करना जरूरी है. हमारी जिम्मेदारी है कि विश्वविद्यालयों में तकनीक के जरिए समाधान निकालने पर अधिक बल दिया जाए. यही सोच शिक्षा और उच्च शिक्षा को लेकर गवर्नमेंट को लेकर भी है. पीएम ने आगे कहा, ग्रेडिट शाइस्ता के पीछे भी यही सोच है जो विश्वविद्यालयों और संस्थान अच्छा काम कर रहे हैं उन्हें पुरस्कृत किया जाए.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने क्या कहा?

वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा,नई शिक्षा नीति में शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण अंग है. नई शिक्षा नीति के अनुसार ही 2021 के बाद शिक्षकों की भी ट्रेनिंग होनी चाहिए, उनकी योग्यता और उनकी मान मर्यादा का ख्याल रखना नई शिक्षा नीति के लिए अनिवार्य है. नई शिक्षा नीति में अन्य विषयों के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा को भी बराबर का दर्जा दिया गया है.  इससे श्रम के प्रति छात्रों के अंदर आदर पैदा होगा और कौशल विकास भी किया जाएगा.

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, राष्ट्रीय स्तर पर हमने 100 से अधिक ऐसे पर्यटक स्थलों का चयन किया है, जिसे हम एजुकेशन टूर के तौर पर प्रयोग मे लेंगे. मैं राज्य सरकारों से भी यही अपील करता हूं ,ताकि हमारे विद्यार्थी हमारी संस्कृति से जुड़ सकें और धरोहर के प्रति आदर उनके मन में हो.

Source : News Nation Bureau

PM Narendra Modi new education policy video conferencing President Ramnath Kovind
Advertisment
Advertisment
Advertisment