शिक्षक दिवस (Teachers Day) पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के सभी अध्यापकों को शुभकामनाएं दी हैं. इस मौके पर राष्ट्रपति ने आज वर्चुअल माध्यम से 47 शिक्षकों को 'राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार' से सम्मानित किया है. 45 सामान्य, जबकि 2 स्पेशल कैटेगरी के शिक्षकों को यह पुरस्कार दिया गया है. राष्ट्रपति ने पुरस्कार के लिए चुने गए सभी शिक्षकों को भी बधाई दी. रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने सभी शिक्षकों की प्रतिबद्धता, समर्पण और उत्कृष्ट योगदान के प्रति हम अपना आभार व्यक्त किया है और कहा कि शिक्षक दिवस के अवसर पर आप सभी शिक्षकों के साथ जुड़कर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है.
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राष्ट्रपति ने कहा कि आज पूरी दुनिया कोविड-19 की वैश्विक महामारी से जूझ रही है. जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है. भारत सहित, दुनिया भर के अधिकांश देशों में स्कूल और कॉलेज बंद हैं या इससे प्रभावित है. ऐसे समय में शिक्षा प्रदान करने में डिजिटल टेक्नॉलॉजी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है. रामनाथ कोविंद ने कहा कि कोविड-19 के कारण आए इस अचानक बदलाव के समय पारम्परिक शिक्षा के माध्यमों से हटकर डिजिटल माध्यम से पढ़ाने में सभी शिक्षक सहज नहीं हो पा रहे थे. लेकिन इतने कम समय में हमारे शिक्षकों ने डिजिटल माध्यम का उपयोग करके विद्यार्थियों से जुड़ने के लिए कड़ी मेहनत की है.
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, 'पूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा था कि शिक्षक देश के बेहतरीन मस्तिष्क होते हैं.' उन्होंने कहा, 'पिछले वर्ष फरवरी में मैं कानपुर गया था, अपने बचपन के स्कूल में पहुंचा, जहां बुजुर्ग शिक्षकों से आशीर्वाद लेने का मुझे मौका मिला. अच्छे भवन, महंगे उपकरण या सुविधाओं से स्कूल नहीं बनता, बल्कि एक अच्छे स्कूल को बनाने में शिक्षकों की निष्ठा और समर्पण ही निर्णायक सिद्ध होते हैं.'
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उन्होने कहा, 'शिक्षक ही सच्चे राष्ट्र निर्माता हैं जो प्रबुद्ध नागरिकों का विकास करने के लिए चरित्र-निर्माण की नींव हमारे बेटे-बेटियों में डालते हैं.' राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक की वास्तविक सफलता है विद्यार्थी को अच्छा इंसान बनाना - जो तर्कसंगत विचार और कार्य करने में सक्षम हो, जिसमें करुणा और सहानुभूति, साहस और विवेक, रचनात्मकता, वैज्ञानिक चिंतन और नैतिक मूल्यों का समन्वय हो.
रामनाथ कोविंद ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में किये जा रहे बुनियादी बदलावों के केंद्र में शिक्षक ही होने चाहिए. नई शिक्षा नीति के अनुसार, शिक्षकों को सक्षम बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाने की आवश्यकता है. इस नीति के अनुसार हर स्तर पर शिक्षण के पेशे में सबसे होनहार लोगों का चयन करने के प्रयास करने होंगे. उन्होंने कहा कि हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करने के साधन ग्रामीण, आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में भी हर वर्ग के हमारे बेटे-बेटियों को प्राप्त हो सकें.