राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन तलाक से जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. कुछ दिन पहले केंद्रीय कैबिनेट ने तीन तलाक से जुड़े अध्यादेश को हरी झंडी दिखाई थी, जिसके तहत इस परंपरा को मुसलमान पुरूषों के लिए दंडनीय बनाया गया है. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बैठक में अध्यादेश को मंजूरी दी गयी थी. इसके बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा गया था. इस अध्यादेश में तिलक-ए-बिद्दत (तीन तलाक बोलना) के जरिए शादी तोड़ना गैरकानूनी माना जाएगा. ऐसा करने पर तीन साल तक की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही तीन साल तक की कैद और जुर्माने के साथ दंडनीय अपराध भी है.
तालक-ए-बिद्दत को खत्म करने के संबंध में संसद में पेश विधेयक राजयसभा में लंबित है. ट्रिपल तलाक पर यह अध्यादेश 6 महीने तक लागू रहेगा. सरकार को इसे संसद से पारित कराना होगा. बता दें कि लोकसभा ट्रिपल तलाक बिल लोकसभा से पारित हो चुका है लेकिन राजयसभा में ये बिल अटका हुआ है. राज्य सभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है.
अध्यादेश के मुख्य बिंदु-:
* इसमे अपराध कॉग्निजेंस तभी होगा जब महिला खुद शिकायत करेगी
* पड़ोसी नही कर पाएंगे शिकायत
* अगर पत्नी चाहे तो समझौता हो सकता है
* पत्नी का पक्ष सुनने के बाद मजिस्ट्रेट बेल दे सकता है
* नाबालिग बच्चों की कस्टडी मां को मिलेगी
एक साल से भी कम समय में इस अध्यादेश को तीसरी बार फिर से जारी किया गया है.विपक्षी पार्टियों और समुदाय के कुछ नेताओं ने इस विधेयक पर आपत्ति जताई है, जबकि सरकार का कहना है कि इससे मुस्लिम महिलाओं को न्याय और बराबरी का हक मिलेगा.