भारत ने तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगान को कड़े शब्दों में संदेश देते हुए कहा है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है। सीमा पार आतंक से जुड़ी समस्या बता कर यह स्पष्ट किया कि भारत को वैश्विक मंचों पर तुर्की की मदद तो चाहिए लेकिन कश्मीर की शर्त पर नहीं।
एर्दोगान ने कश्मीर में बढ़ती हिंसा के मद्देनज़र बयान दिया था कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिये बहुपक्षीय वार्ता होनी चाहिये।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के दौरान एर्दोगान के इस सुझाव को भारत ने खारिज कर दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि किसी भी तरह के तर्क आतंकवाद को सही नहीं ठहरा सकते हैं। दोनों देशों ने आतंकवाद पर आपसी सहयोग को मज़बूत करने पर जोर दिया।
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भारत यात्रा से पहले एक इंटरव्यू में एर्दोगन ने कहा था, 'हमें कश्मीर में और घटनाओं को होने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। बहुपक्षीय वार्ता के जरिये हम कश्मीर समस्या को हमेशा के लिए हल करने का एक रास्ता निकाल सकते हैं।'
उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही टर्की के मित्र देश हैं और दोनों देशों के बीच वार्ता की प्रकिया मजबूत हो तो बेहतर होगा।
बाद में मोदी-एर्दोगान बैठक की जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल वागले ने कहा, 'हमने तुर्की पक्ष को बताया है कि कश्मीर सिर्फ सीमा पार आतंक से जुड़ा मुद्दा है। साथ ही हम पाकिस्तान के साथ कश्मीर सहित हर मुद्दे का समाधान बातचीत से करना चाहते हैं। हमारी बात तुर्की ने बहुत ध्यान से सुनी है।'
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एर्दोगान ने भारत को भरोसा दिलाया है कि टर्की आतंकवाद से लड़ने में भारत को पूरी सहयोग देगा। भारत ने इस मनुलाकात के दौरान कहा था कि आतंकवाद किसी एक देश का मुदद्दा नहीं है और ये पूरे विश्व के लिये एक बड़ी समस्या है।
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Source : News Nation Bureau