देश के चौदहवें राष्ट्रपति के चुनाव को इस बार दो दलितों को अखाड़ा बना दिया गया। एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के खिलाफ खड़ी हुई यूपीए उम्मीदवार मीरा कुमार की हार तय मानी जा रही थी। लेकिन बिहार में उनकी बड़ी हार हुई है और उन्हें वहां से कम वोट मिले हैं।
मीरा कुमार की कोविंद को टक्कर दे सकेंगी इसकी उम्मीद जेडीयू के एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने के साथ ही खत्म हो गया था। राज्य में यूपीए की सरकार है लेकिन यहां पर उनकी हार हुई है।
हालांकि उन्हें वोट मिले लेकिन कोविंद को शिकस्त दे सकें इतने वोट नहीं मिल पाए। अपने ही गृह राज्य से मीरा कुमार को महज 18 हजार 857 वोट ही मिले हैं, जबकि कोविंद को 22 हजार 490 वोट मिले।
मीरा कुमार के नाम की घोषणा होने के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्हें कांग्रेस ने हारने के लिये ही उम्मीदवार बनाया गया है। कोविंद उस वक्त बिहार के राज्यपाल हुआ करते थे और नीतीश कुमार से उनके संबंध अच्छे रहे हैं।
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उनके नाम की घोषणा होते ही नीतीश कुमार ने राज्य का मुख्यमंत्री होने के कारण उनसे मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद ही उन्होंने कोविंद को समर्थन देने का ऐलान किया था।
लेकिन नीतीश ही थे जिन्होंने अप्रैल में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए के खिलाफ महागठबंधन बनाने का आह्वान किया था।
कांग्रेस ने नीतीश के इस पैंतरे के बाद उनकी आलोचना भी की थी और जबकि कहा था कि उन्होंने बिहार की बेटी को धोखा दिया है।
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Source : News Nation Bureau