राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की रणनीति पर चर्चा के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नई दिल्ली में बैठक बुलाई है. लेकिन इस बैठक से पहले ही विपक्ष का आपसी टकराव और बिखराव साफ नजर आ रहा है. तृणमूल कांग्रेस नेता ने 22 राजनीतिक दलों को बैठक में आमंत्रित किया, लेकिन एआईएमआईएम को नजरअंदाज कर दिया. वहीं, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने इस बैठक में शामिल होने से साफ मना कर दिया. तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया. गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होगा और नतीजे 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे.
कांग्रेस के बुलाने से नाराज हैं केसीआर
बताया जा रहा है कि टीआरएस ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस पार्टी को बैठक के लिए आमंत्रित करने से नाखुश है. टीआरएस ने भाजपा और कांग्रेस दोनों से समान दूरी बनाए रखने के लिए अपने रुख का हवाला दिया. दरअसल, टीआरएस नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया कि वह किसी भी ऐसे कार्यक्रम का हिस्सा नहीं हो सकते, जिसमें कांग्रेस की भागीदारी हो.
3 बजे कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में होगी सभी विपक्षी दलों की बैठक
तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी ने दोपहर 3 बजे कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में होने वाली बैठक के लिए सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित किया है. उन्होंने बैठक के लिए विपक्षी शासित राज्यों के सभी आठ मुख्यमंत्रियों को भी निमंत्रण दिया था. शुरू में माना जा रहा था कि टीआरएस प्रमुख केसीआर बैठक से दूरी बनाए रखेंगे, लेकिन अन्य किसी टीआरएस नेता को भेज सकते हैं. लेकिन पार्टी नेताओं के साथ घंटों विचार-विमर्श के बाद टीआरएस ने किसी भी नेता को नहीं भेजने का फैसला किया है.
कांग्रेस से दूरी की बताई यह वजह
टीआरएस ने स्पष्ट किया कि चूंकि कांग्रेस राज्य में उनकी प्रतिद्वंद्वी है, इसलिए वह उसके साथ एक मंच साझा नहीं कर सकते. पार्टी नेता इस बात से भी नाखुश है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले महीने राज्य की अपनी यात्रा के दौरान भाजपा के खिलाफ कुछ भी बोले बिना टीआरएस सरकार पर गलत आरोप लगाए थे.
कांग्रेस पार्टी पर भरोसा नहीं किया जा सकता
टीआरएस नेतृत्व का कहना है कि कांग्रेस पार्टी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. उनका मानना है कि कांग्रेस पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों से लेकर पिछले साल हुए हुजुराबाद विधानसभा उपचुनाव तक सभी चुनावों में भाजपा के साथ मिलीभगत की. कांग्रेस ने अपने अवसरों का त्याग कर भाजपा की जीत के लिए काम किया.
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ममता बनर्जी ने एआईएमआईएम इसलिए किया नजरअंदाज
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दिल्ली में राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति पर चर्चा के लिए विपक्षी दलों की बैठक में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को आमंत्रित नहीं किया है. गौरतलब है कि हैदराबाद मुख्यालय वाली पार्टी एआईएमआईएम के दो लोकसभा सदस्य हैं, जिनमें तेलंगाना और महाराष्ट्र से एक-एक और 14 विधायक- तेलंगाना में सात, बिहार में पांच और महाराष्ट्र में दो हैं. दरअसल, एआईएमआईएम ने पिछले वर्ष पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन खाता नहीं खोल पाई थी. हालांकि, चुनावी परिश्य में पार्टी ने एंट्री ने ममता बनर्जी को नाराज कर दिया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि बंगाल चुनाव में अल्पसंख्यक वोटों को बांटने के लिए एआईएमआईएम भाजपा के साथ थी. इस बीच, एआईएमआईएम नेताओं ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव पर कोई फैसला नहीं किया है. विपक्षी दलों द्वारा एक आम उम्मीदवार पर निर्णय लेने के बाद पार्टी द्वारा निर्णय लेने की उम्मीद है.
ओवैसी बोले, बुलाते तब भी नहीं जाता
एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर उनकी पार्टी को भी आमंत्रित किया जाता तो वह इसमें शामिल नहीं होगी, क्योंकि कांग्रेस पार्टी को आमंत्रित किया गया है.
HIGHLIGHTS
- विपक्षी पार्टियों को एक करने की ममता की कोशिशों को लगा धक्का
- टीआरएस ने कांग्रेस संग किसी भी बैठक में शामिल होने से किया इनकार
- ममता ने दो सांसद और 14 विधायक वाली AIMIM से किया किनारा
Source : News Nation Bureau