महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार बनाने को लेकर बनी राजनीतिक अस्थिरता पर राष्ट्रपति शासन (President's Rule) लगने के बाद लगाम लग चुकी है. राष्ट्रपति ने कैबिनेट की सिफारिश को मंजूर कर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन वगा दिया गया. महाराष्ट्र के राज्यपाल (Governer) भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने मंगलवार को ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी. राज्यपाल ने राज्य की सभी पार्टियों को बारी-बारी से सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन राज्यपाल को किसी भी दल ने संतुष्ट नहीं किया.
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दो बार लग चुका है राष्ट्रपति शासन
महाराष्ट्र के इतिहास में अब तक 2 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है. राज्य में पहली बार 17 फरवरी 1980 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार को विधानसभा में पर्याप्त बहुमत होने के बावजूद सदन भंग कर दिया गया था. इसकी वजह से राज्य में 17 फरवरी से 8 जून 1980 तक अर्थात 112 दिन तक राष्ट्रपति शासन लगा था.
उसी तरह राज्य में 28 सितंबर 2014 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. उस वक्त राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने अपने सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सहित अन्य दलों के साथ अलग हुआ था और विधानसभा को भंग किया गया था. दूसरी बार राज्य में 28 सितंबर 2014 से लेकर 30 अक्टूबर यानि 32 दिनों तक रहा था.
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गौरतलब है कि हाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा सहित किसी भी दल को स्पष्ठ बहुमत नहीं मिला था. हालांकि भाजपा और शिवसेना ने मिलकर 50:50 फार्मूले के तहत चुनाव लड़ा था. चुनाव में भाजपा को जहां 105 सीटें मिली थी, जबकि शिवसेना को 56 सीटें हासिल हुई थी. चुनावी नतीजों के बाद शिवसेना सरकार में शामिल होने के लिए 50:50 फार्मूले के तहत ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बनने की जिद्द पर अड़ गई. हालांकि भाजपा पहले से कहती रही है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ही होंगे.
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राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवसेना
महाराष्ट्र का राजनीतिक नाटक अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने यानी धारा 356 लागू करने की खबरों के बीच शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की है. आज देर रात तक या कल सुबह तक महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है. शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालने के लिए खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से फोन पर बात की. उसके बाद शिवसेना की ओर से याचिका दायर की गई. उधर खबर है कि केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रपति को सिफारिश भेज दी गई है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो