शोध और अन्वेषण में पर्याप्त निवेश नहीं होने को लेकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के उद्योगपतियों की आलोचना की है। मुखर्जी ने कहा कि देश में जबरदस्त आर्थिक तरक्की के बावजूद भारतीय उद्योगपतियों की तरफ से शोध और अन्वेषण के क्षेत्र में पर्याप्त निवेश नहीं करना 'दुभार्ग्यपूर्ण' है।
आईआईएम लखनऊ के एक कार्यक्रम में मुखर्जी ने कहा, 'उनमें से कई ऐसा कर रहे हैं लेकिन देर से कुछ करना, नहीं करने से ज्यादा ठीक है।' उन्होंने कहा कि वद देश के शिक्षा क्षेत्र में निजी सेक्टर को निवेश करते हुए देखना चाहते हैं जैसा कि वह हैल्थकेयर के क्षेत्र में कर चुके हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की नीतियां, विकास के एजेंडा और डिलीवरी मैकेनिज्म को और अधिक बड़ा किए जाने की जरूरत है ताकि देश में आय को लेकर मौजूद बड़े अंतर को पाटा जा सके।
मुखर्जी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव किए बिना भारत अंतरराष्ट्रीय जगत में अपेक्षित जगह नहीं पा सकता। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स के देश मसलन दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और चीन इस दिशा में भारत से कहीं आगे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा, 'हमें शोध और शिक्षा के साथ, फैकल्टी डिवेलपमेंट, फैकल्टी एक्सचेंज और स्टूडेंट एक्सचेंज कार्यक्रम पर ध्यान देने की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि देश में कुल 757 विश्विविद्यालय और 38,600 कॉलेज हैं लेकिन दो या तीन आईआईटी को छोड़कर कोई भी संस्थान दुनिया के शीर्ष 200 विश्विविद्यालयों की सूची में जगह नहीं बना पाता है।
मुखर्जी ने कहा, 'देश के नीति निर्माताओं के सामने सबसे बड़ी समस्या आर्थिक वृद्धि के लाभ को सब तक पहुंचाने की है। ग्रोथ पूरी तरह से समावेशी होना चाहिए।'
HIGHLIGHTS
- शोध और अन्वेषण में पर्याप्त निवेश नहीं होने को लेकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के उद्योगपतियों की आलोचना की है
- मुखर्जी ने कहा कि देश में जबरदस्त आर्थिक तरक्की के बावजूद भारतीय उद्योगपति शोध के क्षेत्र में पर्याप्त निवेश नहीं कर रहे हैं
Source : News Nation Bureau