बाजार में महंगाई दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. इससे अब दवाएं भी अछूती नहीं हैं. देश में एक अप्रैल से जरूरी दवाओं की कीमत में 12 प्रतिशत का इजाफा होने जा रहा है. भारत में दवाओं के दाम को नियंत्रित रखने वाली संस्था नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने एक अप्रैल से जरूरी दवाओं के दाम 12 प्रतिशत बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. एनपीपीए देश में करीब 800 दवाओं की कीमतों को नियंत्रण में रखता है. इन दवाओं को लेकर उसने ‘जरूरी दवाओं की नेशनल लिस्ट’ को तैयार किया है.
सिरदर्द के साथ डायबिटीज की दवा भी हुईं महंगाई
आम जनता के बीच जरूरी दवाओं की कीमत बढ़ती जा रही है. इसमें पेनकिलर्स से लेकर एंटी-बायोटिक्स, एंटी-इफेक्टिव, डायबिटीज और हृदय रोग आदि से जुड़ीं जरूरी दवाओं को शामिल किया गया है. सरकार के कदम के बाद 27 बीमारियों के इलाज में काम आने वाली अहम दावाओं की कीमत 12 प्रतिशत से ज्यादा है.
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दवाओं के दाम में बढ़ोतरी सालाना आधार पर सबसे अधिक है. एनपीपीए ने बीते वर्ष भी दवाओं के दामों में 10.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की इजाजत दी थी. इसका आधार थोक मूल्य सूचकांक में बदलाव बताया गया. इस वर्ष डब्ल्यूपीआई में बदलाव की वजह से इनकी कीमतें बढ़ाई गई हैं.
दाम दस प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान
जरूरी के साथ गैरजरूरी दवाओं की कीमतें भी बढ़ने वाली हैं. यह दस प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है. वहीं ऑल इंडिया ड्रग्स नेटवर्क की को-कन्वेनर मालिनी आइसोला के अनुसार, ये लगातार दूसरा वर्ष है, जब दवाओं के दामों में वार्षिक आधार पर 10 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. देश में अहम दवाओं को लेकर वर्ष 2013 में ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर का गठन किया गया था. दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी बाजार पर असर डालती है.
Source : News Nation Bureau