प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में कोविड-19 के खिलाफ विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत कर दी है. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूरा देश बेसब्री से इस दिन का इंतजार रहा था. खुशी की बात है कि बहुत कम समय में ही कोरोना की वैक्सीन आ गई है. यह विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है ओर यह भारत के सामर्थ्य को दर्शाता है. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से वैक्सीन को लेकर किसी भी प्रकार की अफवाहों पर विश्वास न करने की अपील की. नरेंद्र मोदी ने कोरोना वैक्सीन बनाने वाले देश के वैज्ञानिकों की भी प्रशंसा की.
कोरोना वैक्सीन का इंतजार खत्म हुआ
टीकाकरण अभियान की शुरुआत से पहले वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के दिन का पूरे देश को बेसब्री से इंतजार रहा है, कितने महीनों से देश के हर घर में बच्चे, बूढ़े, जवान सबकी जुबान पर ये ही सवाल था कि कोरोना की वैक्सीन कब आएगी. अब भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू हो रहा है. मैं सभी देशवासियों को इसके लिए बधाई देता हूं.
वैज्ञानिकों की प्रशंसा
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के ‘मेड इन इंडिया’ टीकों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही इसके उपयोग की अनुमति दी गई है. मोदी ने कहा कि आज वैज्ञानिक और वैक्सीन रिसर्च से जुड़े लोग विशेष रूप से प्रशंसा के हकदार हैं जो पिछले कई महीनों से कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में दिन-रात जुटे रहे थे. उन्होंने कहा कि आमतौर पर एक वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं लेकिन इतने कम समय में एक नहीं दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं. कई और वैक्सीन पर भी तेज गति से काम चल रहा है, ये भारत के सामर्थ्य, वैज्ञानिक दक्षता और टैलेंट का जीता-जागता सबूत.
वैक्सीन की 2 डोज लगनी बहुत जरूरी
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'कोरोना वैक्सीन की 2 डोज लगनी बहुत जरूरी है. पहली और दूसरी डोज के बीच लगभग एक महीने का अंतराल भी रखा जाएगा. दूसरी डोज लगने के 2 हफ्ते बाद ही आपके शरीर में कोरोना के विरुद्ध जरूरी शक्ति विकसित हो पाएगी. भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है.' उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण किए जाने का लक्ष्य है.
किसे लगेगा का सबसे पहले टीका, मोदी ने बताया
प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक, भारत का टीकाकरण अभियान मानवीय और महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित है. जिन लोगों को कोरोना के संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है, उन्हें सबसे पहले कोरोना का टीका लगेगा. हमारे डॉक्टर, नर्स, अस्पताल के सफाई कर्मी है, मेडिकल पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना की वैक्सीन पाने के सबसे पहले हकदार हैं. चाहे वह सरकारी अस्पताल के हों हो या प्राइवेट अस्पताल के, सभी को यह वैक्सीन प्राथमिकता पर लगेगी.
नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसके बाद उन लोगों को टीका लगाया जाएगा, जिन पर जरूरी सेवाओं जैसे कि देश की रक्षा या कानून व्यवस्था कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी है. इनमें हमारे सुरक्षा बल, पुलिस, फायर ब्रिगेड, सफाई कर्मचारी आदि को यह वैक्सीन प्राथमिकता पर लगेगी. इन सभी के व्यक्तियों के वैक्सीनेशन का खर्च भारत सरकार द्वारा उठाया जाएगा.
लोगों को 'दवाई भी और कड़ाई भी' का मंत्र
प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत करते हुए देश की जनता को 'दवाई भी और कड़ाई भी' मंत्र दिया. उन्होंने कहा कि टीका लगते ही आप असावधानी न बरतने लगें. मास्क निकाल कर न रख दें. 2 गज की दूरी न भूल जाएं. मोदी ने कहा कि एक और चीज का आग्रह करना चाहूंगा कि जिस तरह धैर्य के साथ आपने कोरोना का मुकाबला किया वैसा ही धैर्य अब वैक्सीनेशन के समय भी दिखाना है.
इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान
उन्होंने कहा, 'इतिहास में इस प्रकार का और इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया. यह अभियान इतना बड़ा है इसका अंदाज आप सिर्फ पहले चरण से ही लगा सकते हैं. दुनिया के 100 से भी ज्यादा ऐसे देश है जिनकी जिनकी जनसंख्या 1 करोड़ से कम है और भारत अपनी वैक्सीनेशन के पहले चरण में ही पहले चरण में ही तीन करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है। दूसरे चरण में हमें इसको 30 करोड़ की संख्या तक ले जाना है.'
अफवाहों से बचने की सलाह
उन्होंने देशवासियों से टीकाकरण को लेकर अफवाहों से बचने की भी सलाह दी. उन्होंने कहा कि विश्व भर में विभिन्न प्रकार की 60 प्रतिशत जीवन रक्षक वैक्सीन भारत से निर्यात की जाती है. भारतीय वैज्ञानिकों ने पूरी तरह से जांच-परख कर कोरोना वैक्सीन तैयार की है. देशवासियों से मेरी अपील है कि वैक्सीन के खिलाफ किए जा रहे झूठे प्रोपेगेंडा पर ध्यान न दें. यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित और कोरोना को हराने में कारगर है.
भारत की कोरोना वैक्सीन बहुत सस्ती
मोदी ने कहा कि भारत के टीके विदेशों की तुलना में बहुत सस्ते हैं और इनका उपयोग भी उतना ही आसान है. उन्होंने कहा, 'विदेश में तो कुछ टीके ऐसे हैं जिसकी एक डोज की कीमत 5000 रुपये तक है और उन्हें माइनस 70 डिग्री तापमान में रखा जाता है. भारत की वैक्सीन ऐसी तकनीक पर बनाई गई है जो भारत की परिस्थितियों के अनुरूप हैं.' उन्होंने कहा किहमारे वैज्ञानिक और विशेषज्ञ जब दोनों मेड इन इंडिया वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव को लेकर आश्वस्त हुए, तभी उन्होंने इसके इमरजेंसी उपयोग की अनुमति दी.
संबोधन के दौरान पीएम मोदी हुए भावुक
इस दौरान कोरोना पीड़ितों की सेवा में अपना जीवन गंवाने वाले कोरोना योद्धाओं को स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि आज कोरोना का पहला टीका स्वास्थ सेवा से जुड़े कर्मियों को लगाकर समाज एक तरह से अपना ऋण चुका रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा, 'इस बीमारी ने लोगों को अपने घर से दूर रखा. माताएं बच्चों के लिए रो रही थीं, लेकिन वो अपने बच्चों के पास नहीं जा सकती थीं. लोग अस्पताल में भर्ती अपने घर के बुजुर्गों से मिल नहीं सकते थे.'
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई हमारे साथी जो इस बीमारी की चपेट में आकर हमसे दूर चले गए, ऐसे लोगों का हम अंतिम संस्कार भी नहीं कर सके.' मोदी ने कहा, 'संकट के उसी समय में, निराशा के उसी वातावरण में, कोई आशा का भी संचार कर रहा था. हमें बचाने के लिए अपने प्राणों को संकट में डाल रहा था. ये लोग थे हमारे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस ड्राइवर, आशा वर्कर, सफाई कर्मचारी, पुलिस और दूसरे फ्रंटलाइन वर्कर्स. हमारे कई साथी कोरोना से को हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.'
दुनिया ने माना भारत का लोहा
पीएम मोदी ने कहा, 'कोरोना के समय में जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों को चीन में बढ़ते कोरोना के बीच छोड़ दिया था, तब भारत चीन में फंसे हर भारतीय को वापस लेकर आया और सिर्फ भारत के ही नहीं, हम कई दूसरे देशों के नागरिकों को भी वहां से वापस निकालकर लाए.' उन्होंने कहा, 'भारत ने कोरोना महामारी से जिस प्रकार से मुकाबला किया उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है. केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय, हर सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थाएं, कैसे एकजुट होकर बेहतर काम कर सकते हैं, ये उदाहरण भी भारत ने दुनिया के सामने रखा.'
Source : News Nation Bureau