पीएम मोदी आज नए संसद भवन का करेंगे शिलान्यास , जानें खूबियां

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) बृहस्पतिवार यानी 10 दिसंबर  को नये संसद भवन का शिलान्यास और भूमि पूजन करेंगे. इस समारोह में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय मंत्री और कई देशों के राजदूत शिरकत करेंगे.

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nitu pandey
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Prime Minister Narendra Modi

पीएम मोदी ( Photo Credit : फाइल फोटो)

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) बृहस्पतिवार यानी 10 दिसंबर  को नये संसद भवन का शिलान्यास और भूमि पूजन करेंगे. इस समारोह में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय मंत्री और कई देशों के राजदूत शिरकत करेंगे. इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी भूमि पूजन भी करेंगे. चार मंजिला नए संसद भवन का निर्माण 971 करोड रुपए की अनुमानित लागत से 64500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में किए जाने का प्रस्ताव है.

इसका निर्माण कार्य भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिया जाएगा. प्रत्येक संसद सदस्य को पुनःनिर्मित श्रम शक्ति भवन में कार्यालय के लिए 40 वर्ग मीटर स्थान उपलब्ध कराया जाएगा जिसका निर्माण 2024 तक पूरा किया जाएगा. नए संसद भवन के निर्माण का प्रस्ताव उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू एवं लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने क्रमशः राज्यसभा और लोक सभा में 5 अगस्त 2019 को किया था .

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लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि नए संसद भवन का डिजाइन अहमदाबाद के मैसर्स एचसीपी डिजाइन और मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है और इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा. नए भवन को सभी आधुनिक दृश्य - श्रव्य संचार सुविधाओं और डाटा नेटवर्क प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा. यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि निर्माण कार्य के दौरान संसद के सत्रों के आयोजन में कम से कम व्यवधान हो और पर्यावरण संबंधी सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाये.

लोकसभा सचिवालय के मुताबिक नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी, जिसमें संयुक्त सत्र के दौरान 1224 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था भी होगी. इसी प्रकार, राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. नए संसद भवन में भारत की गौरवशाली विरासत को भी दर्शाया जाएगा. देश के कोने-कोने से आए दस्तकार और शिल्पकार अपनी कला और योगदान के माध्यम से इस भवन में सांस्कृतिक विविधता का समावेश करेंगे.

नया संसद भवन अत्याधुनिक, तकनीकी सुविधाओं से युक्‍त और ऊर्जा कुशल होगा. मौजूदा संसद भवन से सटी त्रिकोणीय आकार की नई इमारत सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगी. नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी और राज्‍यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है. नए भवन की सज्‍जा में भारतीय संस्‍कृति, क्षेत्रीय कला, शिल्‍प और वास्‍तुकला की विविधता का समृद्ध मिलाजुला स्‍वरूप होगा. डिज़ाइन योजना में केन्‍द्रीय संवैधानिक गैलरी को स्‍थान दिया गया है.

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आम लोग इसे देख सकेंगे. नये संसद भवन के निर्माण में हरित प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल होगा और पर्यावरण अनुकूल कार्यशैली को बढ़ावा दिया जाएगा. इससे रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे एवं आर्थिक पुनरूद्धार के द्वार खुलेंगे. इसमें उच्‍च गुणवत्‍ता वाली ध्‍वनि तथा दृश्‍य-श्रव्‍य सुविधाएं, बैठने की आरामदायक व्‍यवस्‍था, प्रभावी और समावेशी आपातकालीन निकासी की व्‍यवस्‍था होगी. इमारत उच्चतम संरचनात्मक सुरक्षा मानकों का पालन करेगी, जिसमें भूकंपीय क्षेत्र 5 की आवश्यकताओं का पालन करना भी शामिल है और इसे रखरखाव तथा संचालन में आसानी होने के लिए डिजाइन किया गया है.

लोकसभा सचिवालय के मुताबिक, नया संसद भवन भारत के लोकतंत्र और भारतवासियों के गौरव का प्रतीक होगा जो न केवल देश के गौरवशाली इतिहास अपितु इसकी एकता और विविधता का भी परिचय देगा. वर्तमान संसद भवन का निर्माण प्रसिद्ध वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और सर हरबर्ट बेकर की निगरानी में किया गया था. इसकी आधारशिला 12 फ़रवरी 1921 को द डयूक ऑफ कनॉट ने रखी थी . भवन का उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी 1927 को किया था. वर्तमान संसद भवन एक वृहत वृत्ताकार भवन है जिसका व्यास 560 फीट है.

इसकी परिधि एक तिहाई मील है और इसका क्षेत्रफल लगभग छह एकड़ है. इसके प्रथम तल के खुले बरामदे के किनारे पर क्रीम रंग के बालुई पत्थर के 144 स्तम्भ लगे हुए हैं जिनकी ऊँचाई 27 फीट है. ये स्तम्भ इस भवन को एक अनूठा आकर्षण और गरिमा प्रदान करते हैं. पूरा संसद भवन लाल बालुई पत्थर की सजावटी दीवार से घिरा हुआ है जिसमें लोहे के द्वार लगे हुए हैं. कुल मिलाकर इस भवन में 12 द्वार हैं. वर्तमान संसद भवन का निर्माण छह वर्ष में पूरा हुआ और निर्माण पर 83 लाख रुपए की लागत आयी थी. सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली की पहली बैठक 19 जनवरी 1927 को संसद भवन में हुई थी. 

Source : Bhasha

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