भारत में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार थमने के साथ कई राज्यों में लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील दी जा रही है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित कर रहें हैं. बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार पर ब्रेक लगने के बाद राहत का दौर जारी है. देश में लगातार स्थिति सुधरती जा रही है. दिनों दिन कोरोना के दैनिक मामलों का आंकड़ा घटता जा रहा है तो मौतों की संख्या भी गिरावट के दौर में हैं. सोमवार को कोरोना के दैनिक मामलों का आंकड़ा एक लाख पर आ गया. बीते 24 घंटे में देश में कोविड के 1 लाख नए मामले दर्ज किए गए हैं, जो 60 दिन में सबसे कम हैं. इसके अलावा पिछले 24 घंटे में देश में ढाई हजार के कम मौतें दर्ज की गई हैं.
Live Updates
देश कोविड के खिलाफ लड़ाई लड़ा है, कोविड से लड़ने के लिए देश में नया हेल्थ सिस्टम तैयार किया गया है.
भारत के के इतिहास में कभी इतनी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी.
मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम हुआ.
बहुत कम समय में 10 गुना से ज्यादा ऑक्सीजन लाया गया.
बीते 100 वर्षों में आई ये सबसे बड़ी महामारी है. ऐसी महामारी आधुनिक विश्व ने न देखी थी और न अनुभव की थी. इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा है.
कोरोना की दूसरी लहर से हम भारतवासियों की लड़ाई जारी है. भारत भी इस लड़ाई के दौरान बड़ी पीड़ा से गुजरा है.
कई लोगों ने अपने परिजनों को, परिचितों को खोया है. ऐसे सभी परिवारों के साथ मेरी संवेदना है.
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई के महीने में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी.
भारत के इतिहास में कभी भी इतनी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई.
वैक्सीन हमारे लिए सुरक्षा कवच की तरह है. आज पूरे विश्व में वैक्सीन के लिए जो मांग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां बहुत कम हैं.
कल्पना करिए कि अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो आज भारत जैसे विशाल देश में क्या होता?
आप पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे.
विदेशों में वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था.
पोलियो की वैक्सीन हो, चेचक की वैक्सीन हो, हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन हो, इनके लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था.
2014 में जब देशवासियों ने हमें सेवा का अवसर दिया तो भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60 प्रतिशत के आसपास था.
हमारी दृष्टि में ये चिंता की बात थी. जिस रफ्तार से भारत का टीकाकरण चल रहा था, उस हिसाब से देश को शत-प्रतिशत टीकाकरण कवरेज का लक्ष्य हासिल करने में करीब 40 साल लग जाते. हमने इस समस्या के समाधान के लिए मिशन इंद्रधनुष को शुरु किया.
हमने टीकाकरण की रफ्तार भी बढ़ाई और दायरा भी बढ़ाया. हमने बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई नए टीकों को भी भारत के टीकाकरण अभियान का हिस्सा बना दिया. क्योंकि हमें देश के बच्चों की चिंता थी, हमें गरीबों की चिंता थी.
पिछले काफी समय से देश लगातार जो प्रयास और परिश्रम कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है.
आज देश में 7 कंपनियाँ, विभिन्न प्रकार की वैक्सीन्स का प्रॉडक्शन कर रही हैं. तीन और वैक्सीन्स का ट्रायल भी एडवांस स्टेज में चल रहा है.
जब नीयत साफ होती है, नीति स्पष्ट होती है, निरंतर परिश्रम होता है तो नतीजे भी मिलते हैं.
हर आशंका को दरकिनार करके भारत ने एक साल के भीतर ही एक नहीं बल्कि दो मेड इन इंडिया वैक्सीन्स लॉन्च कर दी.
हमारे देश ने, वैज्ञानिकों ने ये दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नही है.
आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो देश में 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है.
हाल के दिनों में कुछ एक्सपर्ट्स द्वारा हमारे बच्चों को लेकर भी चिंता जताई गई है. इस दिशा में भी दो वैक्सीन का ट्रायल तेजी से चल रहा है. इसके अलावा अभी देश में एक नेजल वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है.
जो लोग मुफ्त में नहीं लगवाना चाहते हैं वे प्राइवेट अस्पताल में लगवा सकते हैं. वहीं सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि प्राइवेट अस्पताल वैक्सीन की कीमत के ऊपर केवल 150 रुपये ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे.
देश में कम होते कोरोना के मामलों के बीच, केंद्र सरकार के सामने अलग-अलग सुझाव भी आने लगे, भिन्न-भिन्न मांगे होने लगीं. पूछा जाने लगा, सब कुछ भारत सरकार ही क्यों तय कर रही है? राज्य सरकारों को छूट क्यों नहीं दी जा रही?
21 जून, सोमवार से देश के हर राज्य में, 18 वर्ष से ऊपर की उम्र के सभी नागरिकों के लिए, भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी.
वैक्सीन निर्माताओं से कुल वैक्सीन उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार खुद ही खरीदकर राज्य सरकारों को मुफ्त देगी.
देश की किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा. अब तक देश के करोड़ों लोगों को मुफ्त वैक्सीन मिली है.
अब 18 वर्ष की आयु के लोग भी इसमें जुड़ जाएंगे. सभी देशवासियों के लिए भारत सरकार ही मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध करवाएगी.
देश में बन रही वैक्सीन में से 25 प्रतिशत, प्राइवेट सेक्टर के अस्पताल सीधे ले पाएं, ये व्यवस्था जारी रहेगी.
प्राइवेट अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे. इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा.
Source : News Nation Bureau