प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी रविवार को एक बार फिर लोगों से मन की बात की. देश में लागू लॉकडान के बीच पीएम मोदी का ये दूसरा 'मन की बात' कार्यक्रम था. इस दौरान पीएम मोदी वे कहा, भारत की कोरोना के खिलाफ लड़ाई सही मायने में people driven है. भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई जनता लड़ रही है, आप लड़ रहे हैं, जनता के साथ मिलकर शासन, प्रशासन लड़ रहा है. हम भाग्यशाली हैं कि आज पूरा देश, देश का हर नागरिक, जन-जन इस लड़ाई का सिपाही है और लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है. आज पूरा देश, एक लक्ष्य, एक दिशा के साथ आगे बढ़ रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा, ताली, थाली, दीया, मोमबत्ती, इन सारी चीज़ों ने जिन भावनाओं को जन्म दिया. जिस जज्बे से देशवासियों ने कुछ-न-कुछ करने की ठान ली, हर किसी को इन बातों ने प्रेरित किया है. हमारे किसान भाई-बहन को ही देखिये - वो इस महामारी के बीच अपने खेतों में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं और इस बात की भी चिंता कर रहे हैं कि देश में कोई भूखा ना सोये.
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पीएम मोदी ने कहा, चाहे करोड़ों लोगों का gas subsidy छोड़ना हो, लाखों senior citizen कर railway subsidy छोड़ना हो, स्वच्छ भारत अभियान का नेतृत्व लेना हो, toilet बनाने हो, ऐसी अनगिनत बातें है. इन सारी बातों से पता चलता है कि हम सबको एक मन-एक धागे से पिरो दिया है. हर मुश्किल हालात, हर लड़ाई, कुछ-न-कुछ सबक देती है, कुछ-नकुछ सिखा करके जाती है, सीख देती है. सब देशवासियों ने जो संकल्प शक्ति दिखाई है, उससे, भारत में एक नए बदलाव की शुरुआत भी हुई है.
उन्होंने आगे कहा, जब देश एक team बन करके काम करता है, तब क्या कुछ होता है, ये हम अनुभव कर रहे हैं. आज केंद्र सरकार हो, राज्य सरकार हो, इनका हर विभाग और संस्थान राहत के लिए मिल-जुल करके पूरी स्पीड में काम रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, हमारे देश की राज्य सरकारों की भी इस बात के लिए प्रशंसा करुंगा कि वो इस महामारी से निपटने में बहुत सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारें जो अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं, उसकी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बहुत बड़ी भूमिका है. देशभर से स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों ने अभी हाल ही में जो अध्यादेश लाया गया है, उस पर अपना संतोष व्यक्त किया है. इस अध्यादेश में कोरोना वॉरियर्स के साथ हिंसा, उत्पीड़न और उन्हें किसी रूप में चोट पहुंचाने वालों के खिलाफ बेहद सख्त सजा का प्रावधान किया गया है.
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हम अक्सर सुनते हैं- प्रकृति, विकृति और संस्कृति. इन शब्दों को एक साथ देखें और इसके पीछे के भाव देखें तो आपको जीवन को समझने का भी एक नया द्वार खुलता हुआ दिखेगा. इन दोनों से परे, प्रकृति और विकृति से ऊपर, जब कोई संस्कारित-मन सोचता है या व्यवाहर करता है तो हमें संकृति नजर आती है. खुद की चिंता छोड़कर, अपने हक़ के हिस्से को बांट करके किसी दूसरे की जरूरत को पूरा करने ही संस्कृति है.
पीएम मोदी ने कहा, हमने विश्व के हर जरूरतमंद तक दवाइयों को पहुंचाने का बीड़ा उठाया और मानवता के इस काम को करके दिखाया. आज जब मेरी अनेक देशों के राष्ट्रध्यक्षों से बात होती है तो वो भारत की जनता का आभार जरूर व्यक्त करते हैं. कई बार हम अपनी ही शक्तियों और समृद्ध परम्परा को पहचानने से इनकार कर देते हैं लेकिन जब विश्व का कोई दूसरा देश evidence based research का आधार पर वही बात करता है तो हम उसे हाथों-हाथ ले लेते हैं.इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण - सैकड़ों वर्षों की हमारी गुलामी का कालखंड रहा है.
पीएम मोदी ने कहा, मैं आपसे आग्रह करूंगा- हम कतई अति आत्मविश्वास में न फंस जाएं. हम ऐसा विचार न पाल लें कि हमारे शहर, गांव, गली, दफ्तर में अभी तक कोरोना पहुंचा नहीं है, इसलिए अब पहुंचने वाला नहीं है. देखिए ऐसी गलती कभी मत पालना, दुनिया का अनुभव हमें बहुत कुछ कह रहा है