मोदी सरकार ने रेलवे में निजीकरण की तरफ पहला बड़ा कदम उठाया है. रेल मंत्रालय (Railway ministry) ने 109 जोड़ी प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए रिक्वेस्ट फॉर क्वॉलिफिकेशन (RFQ) मांगा है. इसके लिए प्राइवेट पार्टीज को 30 हजार करोड़ रुपए का निवेश करना होगा. पहली बार रेलवे में यात्री ट्रेन चलाने के लिए प्राइवेट पार्टी को आमंत्रित किया गया है.
इसके लिए पूरे देश के रेलवे नेटवर्क को 12 क्लस्टर में बांटा गया है और इन्हीं 12 क्लस्टर में 109 जोड़ी प्राइवेट ट्रेनें चलेंगी. हर ट्रेन कम से कम 16 डिब्बे की होगी और यह ट्रेन अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी. इन ट्रेनों का रोलिंग स्टॉक निजी कंपनी खरीदेगी. मेंटेनेंस उसी का होगा लेकिन ड्राइवर और गार्ड रेलवे का होगा.
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प्राइवेट क्षेत्र के आने से भारतीय रेल में नई तकनीक का होगा विकास
रेलवे के मुताबिक प्राइवेट क्षेत्र को रेलवे में लाने का मकसद भारतीय रेल में नई तकनीक का विकास करना है ताकि मेंटेनेंस कॉस्ट को कम किया जा सके. इसके अलावा रेलवे का दावा है कि इससे नई नौकरियों के अवसर भी पैदा होंगे.
35 साल के लिए ये प्रोजेक्ट प्राइवेट कंपिनयों को देगी
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रेलवे ने 35 साल के लिए ये प्रोजेक्ट प्राइवेट कंपिनयों को देगी. प्राइवेट पार्टी को एनर्जी और हौलेज चार्ज खपत खपत के हिसाब से देना होगा.इस परियोजना से लगभग 30,000 करोड़ रुपये का निजी क्षेत्र का निवेश होगा. यह भारतीय रेलवे नेटवर्क पर पैसेंजर ट्रेनों को चलाने के लिए निजी निवेश की पहली पहल है.
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मेक इन इंडिया के तहत ट्रेनें भारत में बनेगी
सभी ट्रेन मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनाए जाएंगे. जिन कंपनियों को मौका मिलेगा उन्हें वित्तपोषण, खरीद, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदार संभालनी होगीॉ. ट्रेन की स्पीड 160 किलोमीटर तक बढ़ाई जाएगी जिससे यात्रा की अवधि घटेगी.
Source : News Nation Bureau