सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने देश भर में मुहर्रम पर ताजिये के साथ जुलूस निकालने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हम इसकी इजाजत देते हैं तो अराजकता फैलेगी की और एक समुदाय विशेष को कोरोना फैलाने लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा. हम ऐसा नहीं चाहते हैं.
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याचिकाकर्ता ने जब जगन्नाथ पुरी में रथ यात्रा की सुप्रीम कोर्ट की इजाजत का हवाला दिया गया तो कोर्ट ने कहा कि वह एक जगह की बात थी. हमने संभावित खतरे का आंकलन कर सावधानी के साथ इसकी इजाजत दी लेकिन पूरे देश में जुलूस निकालने को लेकर कोई जनरल आदेश नहीं दिया जा सकता है. हम बतौर कोर्ट सभी की ज़िंदगी को खतरे में डालने की नहीं सोच सकते है. अगर आपने किसी स्थान विशेष की बात की होती वहां के संभावित खतरे के बारे में आंकलन किया जा सकता था. इसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से केवल लखनऊ में जुलूस की इजाजत मांगी गई. हवाला दिया गया कि शिया समुदाय के काफी लोग वहां रहते है. कोर्ट ने इसके लिए याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा.
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दिल्ली में 700 साल में पहली बार नहीं निकलेगा ताजियों का जुलूस
दिल्ली में ताजिया रखने का सिलसिला मुगलकाल से ही चला आ रहा है, पर 700 सालों में ऐसा पहली बार होगा कि मोहर्रम पर ताजिये तो रखे जाएंगे, लेकिन इनके साथ निकलने वाला जुलूस नहीं निकल सकेगा. यह बात हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह शरीफ के प्रमुख कासिफ निजामी ने कही. निजामी ने कहा कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय यानी 1947 में भी दरगाह से ताजियों के साथ निकालने वाले जुलूस पर पाबंदी नहीं लगी थी, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते दिल्ली और केंद्र सरकार से धार्मिक सामूहिक कार्यक्रम की अनुमति नहीं है.
Source : News Nation Bureau