न्याय, समता के लिए प्रगतिशील कानूनी शिक्षा जरूरी: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने शनिवार को कहा कि भारत जैसे विकासशील देश में जहां समान अवसर में भी दोहरापन और विभाजन है वहां प्रगतिशील विधिक शिक्षा अत्यंत आवश्यक है, ताकि लोगों को न्याय और समानता का लक्ष्य प्राप्त हो।

author-image
kunal kaushal
एडिट
New Update
न्याय, समता के लिए प्रगतिशील कानूनी शिक्षा जरूरी: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने शनिवार को कहा कि भारत जैसे विकासशील देश में जहां समान अवसर में भी दोहरापन और विभाजन है वहां प्रगतिशील विधिक शिक्षा अत्यंत आवश्यक है, ताकि लोगों को न्याय और समानता का लक्ष्य प्राप्त हो।

चीफ जस्टिस दिल्ली में 10वें विधिक शिक्षक दिवस समारोह के अवसर पर 'राष्ट्र निर्माण में विधिक संस्थानों की भूमिका' विषय पर आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विधिक शिक्षा संस्थानों को छात्रों में कानून में निहित सामाजिक, नैतिक और राजनीतिक नजरिया विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि कानून का कार्यान्वयन देश की विधिक शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि विधिक शिक्षा एक विज्ञान है जिससे कानून के छात्रों में परिपक्वता और समाज को समझने की चेतना पैदा होती।

संगोष्ठी का आयोजन सोसायटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स (एसआईएलएफ) और मेनन इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल एडवोकेसी ट्रेनिंग (एमआईएलटी) की ओर से किया गया था।

चीफ जस्टिस ने कहा, 'पाठ्यक्रम इस प्रकार तैयार किया जाना चाहिए कि छात्रों को सिर्फ सैद्धांतिक शिक्षा न दी जाए, बल्कि उनको व्यावहारिक कौशल प्रशिक्षण भी मिले।'

उन्होंने विधिक शिक्षा पाठ्यक्रम में कल्पित अदालती बहस प्रतियोगिता, प्रशिक्षण, कल्पित संसदीय बहस, मॉक ट्रायल को शामिल करने पर बल दिया। उन्होंने विधिक शिक्षण संस्थानों से विधिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने की अपील की।

चीफ जस्टिस ने राष्ट्रीय विधिक विश्विविद्यालयों की कार्यप्रणाली की सराहना की और कहा कि संस्थान देश में विधिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने में काफी सफल रहा है।

उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस समारोह भारत के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के दर्शन, विचार और कार्यो को याद करने का अवसर है। उन्होंने दुनिया को बताया कि राष्ट्र निर्माण का कार्य अच्छे शिक्षकों से आरंभ होता है जो गुणवत्तापूर्ण ज्ञान प्रदान करते हैं।

उन्होंने डॉ. राधाकृष्णन की एक सूक्ति का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा है- 'जीवन का आनंद और प्रसन्नता, ज्ञान और विज्ञान के आधार पर ही संभव होता है।'

Source : News Nation Bureau

BJP CJI judicial system Justice Dipak Mishra
Advertisment
Advertisment
Advertisment