गंगा को स्वच्छ बनाने के लिये 19 अरब रुपये की मंजूरी, लगाई जाएंगी 20 परियोजनाएं

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की कार्यकारी समिति ने गंगा को स्वच्छ बनाने के अभियान में तेजी लाने के लिए लगभग 19 अरब रुपये लागत वाली परियोजनाओं को मंजूरी दी है

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pradeep tripathi
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गंगा को स्वच्छ बनाने के लिये 19 अरब रुपये की मंजूरी, लगाई जाएंगी 20 परियोजनाएं
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राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की कार्यकारी समिति ने गंगा को स्वच्छ बनाने के अभियान में तेजी लाने के लिए लगभग 19 अरब रुपये लागत वाली परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

कार्यकारी समिति की 2 मार्च, 2017 को हुई बैठक में मंजूर की गई 20 परियोजनाओं में से 13 उत्तराखंड से संबंधित हैं। जिसके तहत नए सीवेज वाटर उपचार संयंत्रों की स्थापना, मौजूदा सीवर उपचार संयंत्रों की रिपेयरिंग और हरिद्वार में सीवेज वाटर नेटवर्क कायम करने जैसे कार्य शामिल हैं।

समिति की तरफ से जारी बयान के अनुसार, इन सभी पर करीब 415 करोड़ रुपये की लागत आएगी। अनुमोदित योजना का लक्ष्य न केवल शहर के 1.5 लाख स्थानीय निवासियों, बल्कि विभिन्न प्रयोजनों के लिए इस पवित्र स्थान की यात्रा करने वालों द्वारा उत्सर्जित सीवेज वाटर का उपचार भी शामिल है।

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बयान के अनुसार, उत्तराखंड में अनुमोदित अन्य परियोजनाओं में से चार परियोजनाएं अलकनंदा नदी का प्रदूषण दूर करने से संबंधित हैं, ताकि नीचे की तरफ नदी की धारा का स्वच्छतर प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके।

गंदे पानी के नालों को नदी में जाने से रोकने के लिए उनका मार्ग बदलना, बीच मार्ग में अवरोधक संयंत्र लगाना और साथ ही चार महत्वपूर्ण स्थानों - जोशीमठ, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग और कीर्तिनगर में नए लघु एसटीपीज लगाना शामिल है, जिन पर करीब 78 करोड़ रुपए की लागत आएगी।

इनके अलावा गंगा का प्रदूषण दूर करने के लिए ऋषिकेश में 158 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली एक बड़ी परियोजना का अनुमोदन किया गया है।

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बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 665 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से उत्कृष्ट प्रदूषक मानकों के साथ 564 एमएलडी क्षमता के अत्याधुनिक ओखला मलजल उपचार संयंत्र के निर्माण की परियोजना भी अनुमोदित की गई है।

यह संयंत्र मौजूदा एसटीपी फेज- 1, 2, 3 और 4 का स्थान लेगा। इसके अलावा पीतमपुरा और कोंडली में 100 करोड़ रुपये से अधिक अनुमानित लागत वाली नई मलजल पाइपलाइनें बिछाने की दो परियोजनाएं भी मंजूर की गई हैं, ताकि रिसाव रोका जा सके।

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बयान के अनुसार, पटना में कर्मालिचक और झारखंड में राजमहल में 335 करोड़ रुपये से अधिक लागत से मलजल निकासी संबंधी कार्यों का भी कार्य समिति की बैठक में अनुमोदन किया गया।

वाराणसी में, जहां वर्ष भर लाखों तीर्थ यात्री आते हैं, गंगा के प्रदूषण की समस्या का समाधान करने के लिए सार्वजनिक-निजी-भागीदारी यानी पीपीपी मॉडल वाली 151 करोड़ रुपये की परियोजना का भी कार्यकारिणी की बैठक में अनुमोदन किया गया।

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Source : IANS

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