श्री लंका की नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरे की हत्या के विरोध में तमिलनाडु के रामश्वरम में प्रदर्शन हो रहा है। इधर डीएमके ने कि केंद्र सरकार को इस संबंध में मूक दर्शक नहीं बने रहना चाहिये। भारत सरकार ने श्री लंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के सामने मछुआरों की हत्या का मामला उठाया है।
सूत्रों का कहना है कि, 'केंद्र सरकार इस घटना को गंभीरता से ले रही है और श्रीलंका में भारत के राजदूत से वहां के प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर चर्चा की है।'
श्री लंका की नौसेना ने भी इस मामले में भारत को पूरा सहयोग देने का भरोसा दिया है।
सोमवार को तमिलनाडु के रामेश्वरम के पास समुद्री इलाके में श्रीलंकाई नेवी की ओर से की गई गोलीबारी में एक 22 साल के एक भारतीय मछुआरे ब्रिडेगो की मौत हो गई थी।
जिसके विरोध में टीवीकेपी के कार्यकर्ता श्री लंका की इस गोली बारी के विरोध में रामेश्वरम में प्रदर्शन के दौरान टावर पर चढ़ गए।
श्री लंका की इस कार्रवाई पर कड़ा रुख अपनाते हुए डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा, 'ये सही समय है जब भारत सरकार को इस संबंध में कड़े कदम उठाने चाहिये। उसे मूक दर्शक बनकर नहीं रहना चाहिये।'
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तमिलनाडु सरकार ने मारे गए मछुआरे के परिवार को 5लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। साथ ही घायलों को 1 लाख रुपये देने की घोषणा की गई है।
हालांकि श्रीलंका ने आरोप लगाया था कि सभी मछुआरे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पार कर श्रीलंका की समुद्री सीमा में घुस आए थे। इसी कारण वहां की नेवी ने मछुआरों के इस दल पर गोलीबारी कर दी।
हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि श्री लंकाई नौसेना ने गोली चलाने से पहले मछुआरों को चेतावनी दी थी या नहीं।
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इससे पहले रविवार को श्रीलंकाई नेवी ने 24 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया था। इन मछुआरों को श्रीलंका की समुद्री सीमा में घुसने के आरोप में रविवार को गिरफ्तार किया गया था।
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Source : News Nation Bureau