कोरोना महामारी की वजह से संसदीय समिति की बैठकों को पूरी तरह से टाल दिया गया था. जिसे अब सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बुलाने की अनुमति दे दी गई है. उसी क्रम में आज संसदीय समितियों में सबसे शक्तिशाली मानी जाने वाली लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में कोरोना महामारी से निपटने के लिए बनाई गई प्रधानमंत्री केयर्स फण्ड को लेकर चर्चा होनी है. इस बैठक में हंगामा होना लगभग तय माना जा रहा है.
यह बैठक 1 अप्रैल से शुरू हुए नए कैलेंडर वर्ष की पहली बैठक है. अभी तक की परंपरा के मुताबिक साल की पहली बैठक में लोक लेखा समिति द्वारा जांच और समीक्षा के लिए विषयों का चयन किया जाता है. अगर समिति संबंधित विषय पर मोहर लगाती है तो उसे आगे की चर्चा के लिए स्वीकृति मिल जाती है औऱ चर्चा के बाद संसद में रिपोर्ट पेश की जाती है. आज की इस महत्वपूर्ण बैठक में जिन प्रमुख विषयों का चयन किया गया है. उसमें प्रधानमंत्री केयर्स फंड भी शामिल है. लिहाजा इसी बैठक में यह तय होगा कि आगे पीएम केयर्स फंड पर चर्चा की जाएगी या नहीं.
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विपक्ष ने बनाई रणनीति
प्रधानमंत्री केयर्स फंड को लेकर कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोल रही हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही पीएम केयर्स फंड की ऑडिटिंग को लेकर अपना इरादा जाहिर कर चुके हैं. कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया था कि पीएम केयर्स फंड में टिक टॉक समेत कई चीनी कंपनियों ने पैसा दान किया है. क्योंकि इस समिति का अध्यक्ष लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का सांसद होता है. इसलिए कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी फिलहाल इस समिति के अध्यक्ष है. विपक्ष इस मामले पर चर्चा और जांच करके सरकार को कटघरे में खड़ा करना चाहती है.
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समिति में एनडीए के पास बहुमत
उधर सरकार के सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के इन दावों को सिरे से खारिज किया जा रहा है. पीएम केयर्स फंड में कोई सरकारी पैसा नहीं बल्कि निजी लोगों का पैसा लगा है. इसलिए लोक लेखा समिति इसकी जांच नहीं कर सकती.
समिति में NDA के पास पूर्ण बहुमत है. आज की लोक लेखा समिति की बैठक जहां कांग्रेस के सदस्य इस विषय पर चर्चा करवाने की मांग करेंगे तो वही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी इसका विरोध करेगी. हालांकि समिति में संख्या बल के हिसाब से भारतीय जनता पार्टी भारी है. समिति में कुल सदस्य 22 होते हैं जिसमें से 15 सदस्य लोकसभा के और 7 राज्यसभा के सदस्य होते हैं. फिलहाल 20 सदस्यों की समिति में 14 सांसद एनडीए के हैं. अगर विषय को चुनने के लिए मतदान की नौबत आती है तो NDA के सदस्य भारी पड़ेंगे. यानी यहां भी विपक्षी पार्टियों को निराशा हाथ लग सकती है.
Source : News Nation Bureau