अरहर की कीमतों को कम करने के लिए केंद्र सरकार अब योजना बना रही है. कीमतों में उछाल आने के बाद अब सरकार गेहूं की तरह दाल भी बफर स्टाॅक से बेचने की तैयारी कर रही है. सरकार को उम्मीद है कि मार्केट में अरहर दाल की आवक बढ़ने से इसकी कीमतों पर असर पड़ेगा. इससे दामों में कुछ हद तक कमी आएगी. अभी दिल्ली में अरहर दाल काफी महंगी हो चुकी है. लोगों को एक किलो अरहर दाल के लिए करीब 160 से 170 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार नीलामी के जरिए अरहर की दाल बेचने की तैयारी कर रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार नीलामी के जरिए मार्केट में अरहर की दाल बेचेगी. इसके लिए खाद्य मंत्रालय ने नेफेड और एनसीसीएफ को आदेश दिया है. नेफेड और एनसीसीएफ ऑनलाइन नीलामी के जरिए मिल मालिकों को दाल बेचेगी. इस तरह से मार्केट में अरहर के दाल का स्टाॅक बढ़ाया जा सकेगा.
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने आटे की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने को लेकर जनवरी में इस तरह का निर्णय लिया था. इस दौरान सरकार ने लाखों टन गेहूं बफर स्टॉक से नीलामी के माध्यम से खुद ही बाजार में बेचा था. इससे महंगाई पर नियंत्रण हो सका. आटे की कीमतों में 5 से 7 रुपये प्रति किलो की दर से गिरावट देखी गई. इस समय राजधानी में आटे की कीमत 30 से 35 रुपये किलो है. वहीं जनवरी में आटे की कीमत 35 से 42 रुपये किलो थी.
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ये आदेश दिया था
गौरलतब है कि भाजपा सरकार ने जमाखोरी को रोकने के लिए 2 जून को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 को लागू करते हुए दालों की जमाखोरी को रोकने के लिए स्टॉक लिमिट को तय किया था. तब केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ये आदेश दिया था कि 31 अक्टूबर 2023 तक के लिए दालों की स्टॉक लिमिट तय की जाए. हॉलसेल के व्यापारी 200 मीट्रिक टन से ज्यादा दालों का भंडारण नहीं कर सकेंगे.
HIGHLIGHTS
- ऑनलाइन नीलामी के जरिए मिल मालिकों को दाल बेचेगी सरकार
- व्यापारी 200 मीट्रिक टन से ज्यादा दालों का भंडारण नहीं कर सकेंगे